मिसाल न्यूज़
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश भर में हो रही गायों की मौत तथा खुले में घुमने वाले मवेशियों के कारण सड़कों में दुर्घटनाएं हो रही हैं। आवारा मवेशियों से खेतों की चराई पूरे प्रदेश में एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद से प्रदेश में गौवंश बदहाल है। कांग्रेस पार्टी सरकार को चेतावनी देती है कि 15 अगस्त तक आवारा पशुओं के संबंध में सरकार कोई ठोस निर्णय ले। यदि सरकार आवारा पशुओं का कोई समाधान नहीं करेगी तो 16 अगस्त को कांग्रेस गौ सत्याग्रह करेगी। हम प्रदेश के सभी जिला कार्यालय, अनुविभाग (एसडीएम) कार्यालय में एवं अन्य महत्वपूर्ण शासकीय कार्यालयों में खुले पशुओं को ले जाकर छोड़ देंगे।
राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता में दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश भर में हो रही गायों की मौत तथा खुले में घुमने वाले मवेशियों के कारण सड़कों में दुर्घटनाएं हो रही हैं। आवारा मवेशियों से खेतों की चराई पूरे प्रदेश में एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद से प्रदेश में गौवंश बदहाल है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा संचालित गोधन न्याय योजना को बंद करके गौवंशी पशुओं को सड़क पर बेमौत मरने छोड़ दिया गया है। एक तरफ जहां किसान खुली चराई से परेशान हैं, वही सड़कों में दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। इस विकराल समस्या की तरफ कांग्रेस ने ने सरकार का ध्यान अनेक बार आकृष्ट किया, लेकिन सरकार लापरवाह बनी हुई है।
बैज ने कहा कि एक सप्ताह से अधिक दिनों से राज्य की स्टील इकाईयां बंद हैं जिसके कारण यहां काम करने वाले 2 लाख से अधिक मजदूरों, ट्रांसपोर्टरों और इन उद्योगो से जुड़े अन्य लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। समाचार माध्यमों से यही जानकारी मिल रही है कि उद्योगों के प्रतिनिधि लगातार सरकार से अपनी मांग मानने के लिये आग्रह कर रहे हैं, लेकिन सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है। 7 माह की भाजपा सरकार ने न सिर्फ उद्योगों बल्कि आम आदमी के उपयोग में आने वाली बिजली के दामों को भी बढ़ा दिया है। घोषित तौर पर सरकार का दावा है कि 8 प्रतिशत घरेलू बिजली के दाम बढ़े हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले दो माह से सभी के घर का बिजली बिल दुगुना आ रहा है। छत्तीसगढ़ जो देश के बड़े उर्जा उत्पादक राज्यों में से एक है, यहीं के नागरिकों और उद्योगों को महंगी बिजली खरीदने मजबूर होना पड़ रहा है। कोयला हमारा, जमीन हमारी, पानी हमारा और हमें ही महंगें दामों पर बिजली देना कहां का इंसाफ है? उद्योगों की बिजली के दामों की पड़ोसी राज्यों से तुलना करें तो ओड़िशा, जो सबसे अधिक इस्पात का उत्पादन करता है, वहां की बिजली दर 5 रूपये 10 पैसा से 5 रूपये 30 पैसा है। पश्चिम बंगाल, जो तीसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है, वहां बिजली दर 5 रूपये है। झारखंड और जिंदल पार्क, जो अन्य प्रमुख इस्पात उत्पादक क्षेत्र हैं, उनकी बिजली दर भी 5 रूपये है। छत्तीसगढ़ जो दूसरा बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है, यहां की बिजली दर 7 रूपये 62 पैसा से 8 रूपये 50 पैसा है। इसके अलावा भाजपा की सरकार आने के बाद से जनता को पूरे 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। पूरे प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती अलग हो रही है।
जन प्रतिनिधियों के
अधिकारों का हनन
बैज ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार चुने हुये जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को हनन कर रही हैं। दुर्भाग्यजनक है कि लोकतांत्रिक प्रणाली से चुनकर सरकार में बैठे हुये लोग प्रजातांत्रिक तरीके से चुने हुये जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती कर रहे है। कल ही सरकार की ओर से राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित की गई है, जिसके अनुसार अब नगर पालिका एवं नगर पंचायतों के अध्यक्षों का चेक पर हस्ताक्षर करने के अधिकार वापस ले लिया गया है। यह अधिकार अब मुख्य नगर पालिका अधिकारी को दे दिया गया है। प्रदेश के अधिकांश निकायों में कांग्रेस के अध्यक्ष चुनकर आये हैं। इसलिये दुर्भावनापूर्वक सरकार ने यह निर्णय लिया है। कांग्रेस की सरकार ने जनप्रतिनिधियों को अधिकार संपन्न बनाने उनको वित्तीय अधिकार दिया था, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे वापस ले लिया। कांग्रेस मांग करती है कि इस अधिसूचना को रद्द किया जाये तथा जनप्रतिनिधियों के वित्तीय अधिकार को बहाल किया जाये।
विश्व आदिवासी दिवस पर आरक्षण
संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर हो
बैज ने कहा कि कल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है। आदिवासियों का संवैधानिक अधिकार पिछले डेढ़ साल से राजभवन में लंबित है। अब प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री भी हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि छत्तीसगढ़ का आरक्षण संशोधन विधेयक जो पूर्ववर्ती सरकार ने विधानसभा से पारित करवा कर राजभवन भेजा था, उस पर हस्ताक्षर करने राजभवन से आग्रह करें। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है फिर आदिवासियों का 32 प्रतिशत एससी का 13 प्रतिशत, ओबीसी का 27 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस का 4 प्रतिशत अधिकार राजभवन में क्यों रूका हुआ है? राज्यपाल से भी आग्रह है कि विश्व आदिवासी दिवस के दिन राज्य की 32 प्रतिशत आबादी आदिवासियों के हक में विधेयक पर हस्ताक्षर करें।