■ अनिरुद्ध दुबे
नौ साल पहले तकनीकी ख़राबी के कारण बांग्लादेश के एक विमान की जब रायपुर के माना एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी दूसरे दिन एक दैनिक अख़बार ने अति उत्साह में एक ख़बर प्रकाशित कर दी थी। ख़बर में कुछ इस तरह का वर्णण था कि “अंतर्राष्ट्रीय विमान की जिस तरह रायपुर एयरपोर्ट में आसानी से लैंडिग हो गई, इससे यह स्पष्ट होता है कि रायपुर एयरपोर्ट के रनवे से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भरी जा सकती है।” अब हाल-फिलहाल की बात करें। 8 अगस्त को लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल का प्रश्न लगा था कि “क्या रायपुर के एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का स्वरूप देने कोई प्रस्ताव है?” नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू को ओर से सदन में लिखित ज़वाब आया कि “रायपुर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने का कोई प्रस्ताव हमारे पास विचाराधीन नहीं है। किसी हवाई अड्डे का अंतर्राष्ट्रीय घोषित होना लाइटिंग सुविधा, इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम, रनवे की लंबाई, अप्रवासन, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयर लाइनों की मांग और व्दिपक्षीय हवाई सेवा समझौता आदि पर निर्भर करता है।“ इसके बाद 8 अगस्त को ही माना एयरपोर्ट प्रबंधन की तरफ से मीडिया के समक्ष ख़बर जारी हुई कि रनवे की लंबाई 2224 मीटर से बढ़कर 3250 मीटर यानी लगभग 3.25 किलोमीटर हो गई है। लंबा रनवे बन जाने के बाद अब इंटरनेशनल उड़ानों का भी रास्ता खुलेगा। सवाल वही बरसों पुराना है कि आख़िर कब खुलेगा! डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब रायपुर, भिलाई, जगदलपुर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा एवं अंबिकापुर के बीच घरेलू उड़ान शुरु करने की भी योजना थी। वह योजना भी क्या रंग ले पाई!
इस महीने कांग्रेसियों को
ख़ूब याद आएगा कृष्ण कुंज
2022 की जन्माष्टमी में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़े जोर-शोर से 158 नगरीय निकायों में अधिकतम एक हेक्टेयर में कृष्ण कुंज बनाने की घोषणा की थी। इन कृष्ण कुंजों में बाउंड्री वॉल उठाकर आकर्षक प्रवेश व्दार बनाने तथा पौधा रोपण में करोड़ों खर्च हो गए। नई सरकार ने इन कृष्ण कुंजों के रखरखाव से हाथ पीछे खींच लिया है। इसी अगस्त महीने में कोई 26 तारीख़ को तो कोई 27 तारीख़ को जन्माष्टमी पर्व मनाएगा। जन्माष्टमी वाले दिन कांग्रेसियों को अपने इस प्रोजेक्ट की तो याद आएगी ही।
नेताओं से लेकर अफ़सरों तक
की फ़र्ज़ी फ़ेसबुक आईडी
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम पर फ़र्ज़ी फ़ेसबुक आईडी बनाने वाला राजस्थान में पकड़ा गया। पुलिस उसे रायपुर लेकर आई है। मात्र 4 क्लास पढ़े इस आरोपी ने ऐसा दुस्साहस कर डाला कि सीधे सीएम साहब की ही फ़ेसबुक आईडी बना डाली। आरोपी ने पुलिस को यह भी बताया कि इस काम की उसने ट्रेनिंग ले रखी थी। ऐसे फ़र्ज़ी लोगों के निशाने पर रहे विष्णुदेव साय पहले नेता नहीं हैं। उनसे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. चरणदास महंत का भी फ़र्ज़ी फ़ेसबुक अकाउंट बना दिया गया था। डॉ. महंत की ओर बक़ायदा राजधानी रायपुर के सिविल लाइन थाने में इसकी रिपोर्ट भी कराई गई थी। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता रमेश बैस के फ़ेसबुक अकाउंट को तो किसी समय में हैक ही कर लिया गया था। तब बैस के फ़ेसबुक वॉल पर विवादित पोस्ट डलना शुरु हो गई थी। पुलिस में शिकायत के बाद इस पर नियंत्रण पाया जा सका था। बाक़ी प्रदेश के ऐसे कितने ही आईएएस व आईपीएस अफ़सर हैं जिनका फ़र्ज़ी फ़ेसबुक अकाउंट बनते रहा है।
बेंगलुरू, मैसूर व उटी घूम
तो आएंगे पर सीखे को
किस ज़मीन पर दिखाएंगे
रायपुर नगर निगम के महापौर समेत 50 से अधिक पार्षदों का दल अध्ययन दौरे पर बेंगलुरु, मैसूर एवं उटी गया है। साथ में एक-दो अफ़सर भी गए हैं। नगर निगम के गलियारे में चर्चा यही है कि इस टूर में 50 लाख के आसपास ख़र्च होना है। यह पैसा नगर निगम के ख़ज़ाने से ही जाएगा। इससे पहले महापौर एवं पार्षदों का दल चंडीगढ़ एवं इंदौर गया था तब 40 लाख के आसपास ख़र्च की बात सुनने मिली थी। पिछली बार के दौरे के समय में निगम कमिश्नर प्रभात मलिक थे। बताते हैं कि नगर निगम की माली हालत पर चिंता जताते हुए मलिक ने इस तरह 40 लाख के ख़र्चे को फिज़ूलखर्ची बताते हुए गहरी आपत्ति दर्ज़ कराई थी। चंडीगढ़ एवं इंदौर की यात्रा से लौटने के बाद नगर निगम के नेताओं ने कहा था कि “हम भ्रमण में जाकर काफ़ी कुछ सीखकर आए हैं और राजधानी रायपुर की सफाई व्यवस्था की तस्वीर बदलकर रख देंगे।” तस्वीर बदली तो नहीं, उस पर धूल ज़रूर पड़ गई। सवाल यह है कि निगम के नेता बेंगलुरु, मैसूर व उटी से कुछ सीखकर आएंगे भी तो उन अनुभवों को किस तरफ की ज़मीन पर उतारेंगे। नगर निगम चुनाव के लिए आचार संहिता लगने को डेढ़ से दो महीने का ही समय बचा है, उसके बाद तो टा टा-बॉय बॉय है। अंदर की ख़बर रखने वाले बताते हैं कि टूर पर निकलने से पहले एक युवा क्रेजी पार्षद को उसके साथी ने लाख टके की यह सलाह ज़रूर दी है कि “भाई कहीं जाना या नहीं जाना पर उटी जाओगे तो ‘डिस्को डॉसर’ फ़ेम फ़िल्म कलाकार मिथुन चक्रवर्ती का हॉटल मोनार्क ज़रूर देखकर आना।“
डॉग शेल्टर हाउस पूरा
करने अब जाकर टेंडर
छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष गिरधारी नायक ने आवारा कुत्तों के आतंक को स्वतः संज्ञान में लिया है। नवंबर से अब तक की स्थिति का उन्होंने अध्ययन किया। अध्ययन के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने बताया कि “साल 2023 में 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक छत्तीसगढ़ में कुत्तों के काटने के 1 लाख 19 हज़ार 928 मामले सामने आए। इसमें 3 लोगों की मौत भी हुई। कुत्तों के सबसे ज़्यादा काटने के मामले रायपुर में सामने आए। रायपुर में साल भर के भीतर 15 हज़ार 953 लोगों को कुत्तों ने काटा। वहीं बिलासपुर में 12 हज़ार 301 तथा दुर्ग में 11 हज़ार 84 मामले रिकॉर्ड में आए।“ इसे ग़ज़ब संयोग कहें कि 6 अगस्त को मीडिया के माध्यम से ये आंकड़े सामने आए और 9 अगस्त को रायपुर नगर निगम ने सोनड़ोंगरी के आधे-अधूरे बनकर पड़े डॉग शेल्टर हाउस के हॉस्पिटल निर्माण कार्य को पूर्ण करने का टेंडर जारी किया। सोऩडोंगरी में क़रीब डेढ़ करोड़ की लागत से 6500 वर्ग फुट में डॉग शेल्टर हाउस बन रहा है। बनने की रफ़्तार काफ़ी धीमी बताई जाती रही है। यहां आवारा कुत्तों की नसबंदी होगी और उन्हें एंटी रेबीज टीका लगाया जाएगा। सवाल वही पुराना है कि आख़िर यह शुरु कब होगा? आवारा कुत्तों की नसबंदी की बात तो रायपुर नगर निगम सन् 2001 से करते आ रहा है। बात वहीं पर जाकर टिक जाती है कि आख़िर इस काम में सफलता कहां तक मिल पाई है?