मिसाल न्यूज़
रायपुर। तेलीबांधा चौक से वीआईपी रोड तिराहे तक डिवाइडर के सौंदर्याकरण में भारी भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए भाजपा पार्षद दल ने आज इसकी शिकायत ईओडब्लू में की। साथ ही रावतपूरा कॉलोनी फेस टू में नाली निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। विपक्षी पार्षदों ने कहा कि टेंडर ऑनलाइन न हो इसके लिए जानबूझकर एक ही टेंडर को कई टुकड़ों में जारी किया गया।
एकात्म परिसर में आज एक प्रेस वार्ता में नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष श्रीमती मीनल चौबे, वरिष्ठ पार्षद व्दय सूर्यकांत राठौर एवं मृत्युंजय दुबे ने कहा कि 26 अक्टूबर को नगर निगम के जोन क्रमांक 10 से तेलीबांधा से वीआईपी तिराहा सौंदर्यीकरण के संबंध में एक ज्ञापन जारी हुआ। इसकी एक प्रति महापौर को भी भेजी गई। संलग्न निविदा में स्पष्ट शब्दों में लिखा था कि उपरोक्त कार्यों में मैनुअल पद्धति से निविदाआमंत्रित की जाती है। उपरोक्त लगभग दो करोड़ के कार्य को 12 भागों में ऐसा बांटा गया जिसमें ऑनलाइन टेंडर की गुंजाइश न रहे। 30 अक्टूबर को एक अखबार में इस निविदा आमंत्रण का प्रकाशन करवाया गया। उसके बाद फाइल मुख्यालय में तकनीकी स्वीकृति के पश्चात वित्तीय स्वीकृति के लिए गई। अनटाइड फंड वाली यह फाइल महापौर एवं आयुक्त के दस्तखत से आगे बढ़ गई। राज्य शासन का स्पष्ट निर्देश है कि एक ही प्रकार के कार्य के लिए अलग-अलग टेंडर करना निषेध है। इसके बावजूद समान प्रवृत्ति के कार्य का 12 अलग-अलग टेंडर क्यों किया गया। महापौर और आयुक्त के हस्ताक्षर वाली वित्तीय स्वीकृति यह साबित करती है कि दोनों ने राज्य शासन के आदेश की अवहेलना की। इसके पीछे मंशा यही थी कि उपरोक्त कार्य का टेंडर मैनुअल हो, ऑनलाइन ना हो। दूसरी प्रमुख बात यह कि नगरीय प्रशासन का स्पष्ट निर्देश है कि प्रशासकीय अनुमोदन हेतु आवश्यक सर्वेक्षण, अनुसंधान, परीक्षण, अध्ययन,आदि पूर्ण रूप से संपन्न कर एवं आवश्यक डिजाइन, ड्राइंग,तैयार कर प्रतिवेदन होना चाहिए | जिस दिन समाचार पत्र में 30 अक्टूबर को निविदा आमंत्रण का प्रकाशन होता है उस दिन तेलीबांधा चौक से वीआईपी रोड तिराहे के बीच निर्माण कार्य आधा से ज्यादा हो चुका था। क्या अधिकारियों ने यही सर्वेक्षण किया। अधिकारियों की जानकारी में ठेकेदार वहां काम कर रहा था और ठेकेदार को वर्क आर्डर देने की पूरी तैयारी थी। सवाल यह है कि किसके इशारे पर इस प्रकार का कृत्य किया गया। महापौर और आयुक्त अगर इसमें संलिप्त नहीं हैं तो ऐसे दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करेंगे? श्रीमती मीनल चौबे ने कहा कि जिस स्थल पर उपर्युक्त कार्य होना था वहां NHAI कि संपत्ति है। बिना NHAI की सहमति पत्र के जोन से टेंडर निकालना असंवैधानिक है। बिना NHAIकी सहमति पत्र के आयुक्त और महापौर के वित्तीय स्वीकृति के दस्तखत के उपरांत जोन से टेंडर प्रक्रिया करना असंवैधानिक है। निगम की उपरोक्त कार्य प्रणाली के संज्ञान में आने के बाद कहा जाता है कि उपरोक्त कार्य क्रेडाई के द्वारा करवाया जा रहा है। क्या क्रेडाई शहर में कहीं भी कभी भी अपने मन से काम कर देगी । जब क्रेडाई वहां काम कर रही है तो नगर निगम अनटाइड फंड से लगभग दो करोड़ की स्वीकृत राशि का भुगतान किसको किया जाना था?
श्रीमती चौबे ने कहा कि नगर निगम की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली का दूसरा उदाहरण रावतपुरा फेस टू नाली निर्माण का काम है। 17 मई को उपरोक्त कार्य स्थल पर नाली एवं रोड निर्माण का कार्य जो कि लगभग एक करोड़ का था उसे भी टुकड़ों टुकड़ों में तोड़ा गया। 5 अलग-अलग पार्ट में टेंडर निकाला गया और एक ही व्यक्ति को काम दिया गया। कायदे से उपरोक्त कार्य का भी सिंगल टेंडर हो सकता था पर ऑनलाइन से बचने के लिए कार्य को विभाजित किया गया।आश्चर्य की बात है कि इसी वार्ड के एक भाग में 14 वें वित्त आयोग से गत वर्ष लगभग दो करोड़ का कार्य हुआ उसे भी 16 अलग-अलग भागों में बांटा गया और मैनुअल टेंडर किया गया।
प्रेस वार्ता में भाजपा रायपुर जिलाध्यक्ष जयंती पटेल, उप नेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा एवं प्रमोद साहू मौजूद थे।