मिसाल न्यूज़
मुम्बई। हिंदुस्तानी और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत में मजबूत पकड़ रखने वाले प्रसिद्ध फ़िल्म संगीतकार वनराज भाटिया का शुक्रवार सुबह मुंबई में अपने निवास में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।
भाटिया दिल्ली विश्वविद्यालय में संगीत के पांच साल तक रीडर भी रहे। श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले वनराज भाटिया देश के पहले संगीतकार रहे जिन्होंने विज्ञापन फिल्मों के लिए अलग से संगीत रचने की शुरूआत की। वनराज भाटिया को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। साथ ही 2012 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। उनके यादगार कामों में अंकुर, मंडी, भूमिका, जुनून, मंथन और तमस जैसी फिल्मों को याद किया जाता है। जानी-मानी फ़िल्म पत्रकार मधु पाल वोहरा ने बताया कि म्यूजिक डायरेक्टर वनराज भाटिया से मेरी मुलाक़ात 2019 में उनके घर पर हुई थी। कुछ साल उन्होंने बहुत तंगहाली में दिन गुज़ारे थे। वनराज जी का कहना था कि उनके पास पैसे नहीं है और वो अपना जीवन जैसे तैसे निकाल रहे हैं। वनराज जी ने बताया कि 2019 के शुरुआत में जब वह बीमार थे तब उनके पास बीमारी के इलाज़ तक के पैसे नहीं थे। उन्हें अस्पताल का बिल भरने के लिए अपने घर के बर्तन तक बेचने पड़े थे। एक अखबार को उन्होंने जो इंटरव्यू दिया उसमें ये सारी बातें सामने आईं। तब कुछ लोगों ने पैसे भेजकर मदद की थी।