बजट सत्र का पहला दिनः राज्यपाल ने अभिभाषण में कहा- बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़ के रूप में पा रहा नई पहचान’

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा के बजट सत्र के आज पहले दिन राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने अपने अभिभाषण में कहा कि पेसा कानून का लाभ आदिवासी समाज को न मिल पाना एक विडम्बना थी, जिसका समाधान करते हुए प्रदेश में पेसा कानून के लिए नियम बनाए गए। मेरी सरकार ने न्याय की अवधारणा को व्यापक विस्तार देते हुए जेल में बंद व अनावश्यक मुकदमेबाजी में उलझे आदिवासियों की रिहाई सुनिश्चित की। उनके आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों से विश्वास का वातावरण बना, जिसके कारण दुर्गम अंचलों में भी सडक निर्माण, बिजली प्रदाय, स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन, पानी, पोषण, रोजगार, ‘बस्तर फाइटर्स’ बल में भर्ती जैसे अनेक उपाय किए जा सके हैं। 13 वर्षों से बंद 300 स्कूलों का जीर्णोद्धार और पुनः संचालन संभव हुआ। यही वजह है कि बस्तर अब नक्सलगढ़ नहीं बल्कि ‘विकासगढ़ के रूप में नई पहचान पा रहा है। इस तरह नक्सलवादी तत्वों को कमजोर करते हुए लोगों की अपने गांवों में वापसी सुनिश्चित की गई।

राज्यपाल ने कहा कि अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि छत्तीसगढ़ की पंचम विधानसभा का सोलहवां सत्र, फाल्गुन चैत्र के पावन माह में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर मैं आप सबका हार्दिक अभिनंदन करता हूं। आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में प्राप्त जनादेश से वर्तमान राज्य सरकार का गठन हुआ था। मेरी सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल का यह पांचवां बजट सत्र है। वर्ष 2023-24 के बजट सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श और निर्णय की कार्यवाही आप लोगों द्वारा की जाएगी। बस्तर के लोहंडीगुड़ा में जमीन वापस करने के साथ यह संदेश दिया था कि आदिवासी समाज को उनकी परंपरा से जोड़े रखते हुए उनके आर्थिक स्वावलंबन की व्यवस्था की जाएगी। इस दिशा में तेजी से प्रगति करते हुए 50 से अधिक वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए गए। फूडपार्कों की स्थापना के लिए मात्र चार वर्षों में 112 विकासखंडों में भूमि का चिन्हांकन और 52 विकासखंडों में भूमि हस्तांतरण किया जा चुका है। प्रदेश में 562 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित की जा चुकी हैं। नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक बनाने के लिए एक ओर जहां देवगुड़ी तथा गोटुल के विकास हेतु आर्थिक सहायता दी है, ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का आयोजन, ‘विश्व आदिवासी दिवस’ पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा, ‘शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय तथा गिरौदपुरी धाम के विकास जैसी पहल की है, वहीं दूसरी ओर नए जमाने की शिक्षा से सक्षम बनाने के लिए ‘आदर्श छात्रावास योजना’, ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना’, ‘शिष्यवृत्ति योजना’, ‘छात्र भोजन सहाय योजना’, ‘राजीव युवा उत्थान योजना’, ‘राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना’, ‘जवाहर विद्यार्थी उत्कर्ष योजना’ जैसी योजनाओं के बेहतर संचालन की व्यवस्था की है और इनसे मिलने वाले लाभ को भी बढ़ाया है।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को सभी ओर से विमानन सेवाओं से जोड़ने के लिए मेरी सरकार ने गंभीरता से प्रयास किए, जिसके कारण जगदलपुर से विमान सेवाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं, साथ ही जगदलपुर को देश के बड़े शहरों जोड़ने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। बिलासपुर को तीन राज्यों से जोड़ा जा चुका है, और अब नाइट लैंडिंग की सुविधा विकसित की जा रही है। अम्बिकापुर, बैकुण्ठपुर और कोरबा में भी हवाई अड्डों का विकास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की सिंचाई क्षमता में वृद्धि को मेरी सरकार ने प्राथमिकता प्रदान की है, जिसमें एक ओर परंपरागत उपायों को अपनाया गया है, वहीं दूसरी ओर जल संसाधन के विकास पर भी जोर दिया गया है यही वजह है कि प्रदेश में राज्य गठन के समय जो निर्मित सिंचाई क्षमता 13 लाख 28 हजार हेक्टेयर थी, वह अब बढ़कर 21 लाख 49 हजार हेक्टेयर हो गई है। सिंचाई का रकबा 38.79 प्रतिशत हो गया है। यह प्रसन्नता का विषय है कि बेहतर प्रबंधन से विगत वर्ष में जो खरीफ सिंचाई 12 लाख 86 हजार हेक्टेयर में की गई थी, वह इस वर्ष बढ़कर 13 लाख 5 हजार हेक्टेयर हो गई है, अर्थात एक वर्ष में वास्तविक सिंचाई क्षमता में 19 हजार हेक्टेयर की वृद्धि अपने आप में उत्साहजनक है ।. मेरी सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल को अपराधियों के लिए कठोर और आम नागरिकों के लिए संवेदनशील बनाया। चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बहुत आगे है। विगत चार वर्षों में 460 प्रकरण पंजीबद्ध कर 655 से अधिक संचालकों और उनके पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। 43 हजार 945 निवेशकों को लगभग 32 करोड़ रुपए की राशि लौटाई गई है। ऑनलाइन जुआ की रोकथाम के लिए ‘छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध विधेयक-2022’ पारित किया गया है। मेरी सरकार ने मूल संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करते ऐसे उपाय किए हैं कि उन पर न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी गौरवान्वित हो। बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी माटी के रंग में रंगना आसान हो जाए। विभिन्न अंचलों के पर्यो, त्यौहारों, धरोहरों को संजोया जा रहा है। ग्रामीण परंपराओं तथा कौशल का विकास कर विभिन्न उत्पाद तैयार करने में मदद की जा रही है, जिससे परंपरा को आजीविका के साथ जोड़ने में व आर्थिक स्वावलंबन में मदद मिल रही है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ जैसी परियोजना से आस्था केन्द्रों का विकास भी किया जा रहा है। इस परिपथ में 75 स्थानों पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम की चिन्हारी को चिरस्थायी बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ तथा सेवा जतन-सरोकार के ध्येय वाक्य के साथ जो ‘छत्तीसगढ़ मॉडल की शुरुआत हुई थी, उसे मुकाम तक पहुंचाने में मेरी सरकार के प्रयासों में भागीदार बनने के लिए, मैं आप सबको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। अपने प्रदेश की माटी को जहरीले रसायनों से मुक्त करने की बड़ी चुनौती मेरी सरकार ने स्वीकार की है ताकि जमीन का उपजाऊपन, फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि हो। इसके लिए विभिन्न तकनीकी उपायों के साथ ही जनभावनाओं के स्तर पर भी पहल की गई और प्रतिवर्ष अक्ति त्यौहार को माटी पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। मेरी सरकार ने ‘सुराजी गांव योजना के माध्यम से ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण, बहुआयामी विकास और उसके माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाया है। ‘नरवा’ के उपचार से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि हो रही है, वहीं गौठानों को गौमाता की सेवा के साथ ही जैविक खाद बनाने व अन्य आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया गया है। सतत एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट को सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर खरीदी की मात्रा 100 लाख क्विंटल तथा गोबर खरीदी की राशि 200 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया गया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। गौठान समिति के माध्यम से गौ-मूत्र का क्रय भी किया जा रहा है और इससे जैविक कीट नियंत्रक एवं जीवामृत जैसे उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोधन और गौ-मूत्र के कार्य से पशु पालकों, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को होने वाली आय 400 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। गौठानों को ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने की नई पहल से गांव-गांव में बड़े पैमाने पर अनेक वस्तुओं के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण हेतु 75 गौठानों का चयन कर 84 लोगों को प्रशिक्षण हेतु राजस्थान भेजा गया है। 13 जिलों में 23 पेंट निर्माण इकाई लगाने की कार्यवाही शुरू की गई हैं, जिसमें 3 जिलों रायपुर, दुर्ग एवं कांकेर में उत्पादन भी शुरू किया जा चुका है।

राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा कि 5 हजार 874 गौठानों में चारागाह विकसित किए जा चुके हैं, जिसमें 2 लाख 30 हजार क्विंटल हरा चारा का उत्पादन तथा 15 लाख 80 हजार क्विंटल सूखा चारा पैरा इकट्ठा किया जा चुका है जो पैरादान के लिए मेरी सरकार के आह्वान का सुखद परिणाम है। मेरी सरकार ने प्रदेश की प्रमुख फसल धान को भरपूर सम्मान दिया है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सटीक व्यवस्था और मिलिंग की सही नीति से राष्ट्रीय स्तर के कीर्तिमान बने हैं। वर्ष 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने 19 लाख 36 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 56 लाख 89 हजार मीटरिक टन धान बेचा था, वहीं मेरी सरकार के विशेष प्रयासों के कारण इस वर्ष 23 लाख 50 हजार किसानों ने 30 लाख 14 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 1 करोड़ 7 लाख 53 हजार मीटरिक टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा है। इस तरह छत्तीसगढ देश में सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला प्रथम, धान की सर्वाधिक कीमत देने वाला अव्वल और सेंट्रल पूल में चावल देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। धान के साथ ही अन्य फसलों के उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली कोदो, कुटकी, रागी लघु धान्य फसलों के लिए समर्थन मूल्य घोषित कर इनका उपार्जन किया जा रहा है। मेरी सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ कार्यक्रम लागू किया गया है। मिलेट्स के उत्पादन, विपणन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। राज्य में चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा देने ‘छत्तीसगढ़ टी कॉफी बोर्ड का गठन किया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि मेरी सरकार वनों के संरक्षण, संवर्धन के साथ ही इसके माध्यम से स्थानीय निवासियों को आजीविका के नए-नए साधन उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक को 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने से 13 लाख संग्राहकों को प्रतिवर्ष लगभग 250 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है। प्रोत्साहन राशि के रूप में विगत तीन वर्षों में 340 करोड़ रुपए दिए गए हैं। लघु वनोपज से आजीविका मजबूत करने की दिशा में बड़ी सोच से काम लिया गया, जिससे 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। इनके प्रसंस्करण और विपणन हेतु भी अनेक उपाय किए गए हैं। 130 से अधिक उत्पादों का प्रसंस्करण कर ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम पर विक्रय किया जा रहा है। वन्यप्राणियों के संरक्षण और उनके रहवास में सुधार की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। ‘हाथी-मानव संगवारी योजना’ से हाथियों के उत्पात से निजात मिलने की उम्मीद बढ़ी है। बाघ, मगरमच्छ, कृष्णमृग, पहाड़ी मैना, गिद्ध आदि के संरक्षण हेतु विशेष कार्ययोजनाएं संचालित की जा रही हैं।

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