ईडी दफ्तर घेराव से ठीक पहले कांग्रेस का गंभीर आरोप- अडानी समूह को लाभ की राशि सूर्यकांत तिवारी व्दारा हवाला से भेजी गई थी

मिसाल न्यूज़

रायपुर। ईडी दफ्तर के बाहर आज धरना देने से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला एवं महापौर एजाज ढेबर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस महाधिवेशन को बाधित करने के मकसद से हमारी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के यहां छापे मारे गए। एजाज ढेबर ने कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। महापौर ने कहा कि अडानी समूह को उनके लाभ के हिस्से की पूरी राशि सूर्यकांत तिवारी तथा जोगेन्दर द्वारा हवाला के माध्यम से भेजी गयी थी। ऐसे में ईडी अडानी समूह को घेरे में क्यों नहीं लेती।

राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस अधिवेशन को बाधित करने के लिये केन्द्र की मोदी सरकार ने अनेक हथकंडे अपनाये। हमारे नेताओं के यहां ईडी के छापे मारे। हमारे नेताओं को अधिवेशन में आने से रोका गया था। हमारे अधिवेशन की तैयारी में जुटे नेताओं को टारगेट किया गया, ताकि अधिवेशन असफल हो। यही नहीं अधिवेशन में काम करने वाले कारोबारी के यहां भी ईडी वाले गये। उनके लाखों कोशिशों के बावजूद कांग्रेस का अधिवेशन ग्रैंड सफल रहा। देश भर से अतिथि आये कांग्रेस के अधिवेशन की तारीफ करके गये। भाजपा की मोदी सरकार ने अधिवेशन को रोकने के लिये जो हथकंडे अपनाया वह तो अंग्रेज भी नहीं अपनाते थे। आजादी के पहले कांग्रेस के 58 अधिवेशन हुये। कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई के लिये अपने हर अधिवेशन में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अनेक प्रस्ताव पारित किये। इसके बावजूद अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस के अधिवेशन पर रोक नहीं लगाया था। भाजपा की केंद्र सरकार का चरित्र इतना आलोकतांत्रिक है कि वह विपक्ष का अधिवेशन बर्दाश्त नहीं कर पा रही। कांग्रेस के अधिवेशन में उठाये गये सवालों का भाजपा के पास मोदी के पास कोई जवाब नहीं है। अडानी के घोटाले का मोदी के पास कोई जवाब नहीं। उन्हें बीमार सोनिया गांधी पर छाता लगाये जाने पर आपत्ति है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अमित शाह धकियाते हैं तो मोदी की बोलती बंद रहती है।

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान अनेक बड़े-बड़े घोटाले हुये। इनमें से दो महत्वपूर्ण घोटाले थे 36,000 करोड़ का नॉन घोटाला तथा दूसरा 6,000 करोड़ रू. से अधिक का चिटफंड घोटाला। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नॉन डायरी में आये। नान डायरी में सीएम सर, सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम का उल्लेख आया। भाजपा शासनकाल में हुए हजारों करोड़ों के ‘‘नॉन घोटाले’’ की जांच के लिये ई.डी. द्वारा वर्ष 2019 में प्रकरण दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा रमन सिंह एवं उनके परिवार के ‘‘नॉन घोटाले’’ में संलग्न रहने एवं लाभान्वित होने की बातें पहले ही सामने लाई जा चुकी है। वर्ष 2008 से 2018 के बीच पूरे राज्य में रमन सरकार के संरक्षण में लाखों गरीब परिवारों के खून-पसीने की जमा पूंजी चिटफंड कंपनियों द्वारा लूटी गयी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह, मंत्री गण एवं रमन सिंह के सांसद पुत्र अभिषेक सिंह ने इन चिटफंड कंपनियों के दफ्तरों का उद्घाटन किया था। उनकी ब्रांडिंग से प्रभावित होकर लोगों ने चिटफंड कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा निवेश किया था। प्रभावशाली भाजपा नेताओं की ओर से लुटेरी चिटफंड कंपनियों को संरक्षण दिये जाने की प्रमाणित शिकायत भी मुख्यमंत्री द्वारा की जा चुकी है। 10 वर्षों तक राज्य में ठगी एवं लूट का तांडव मचाने वाली चिटफंड कंपनियों को गरीबों से पैसे लूटने की छूट के बाद उनको राज्य से भागने पर रमन सरकार के आंख मूंदे रहने से बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है? विगत दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस के महाधिवेशन में बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से ईडी द्वारा कांग्रेस के प्रमुख पदाधिकारियों के घर छापेमारी की कार्यवाही की गयी, उसके पूरे राज्य की जनता में रोष व्याप्त है।

महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि विगत लगभग 8 माह से छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को बदनाम करने मात्र के उद्देश्य से केन्द्र सरकार व राज्य की भाजपा के ईशारे पर ई.डी. द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में 2020 से 2022 के बीच 600 करोड़ के कोयला घोटाला होने की काल्पनिक कहानी बनायी गयी है। ई.डी. की कहानी में कथित “कोल स्कैम“ का सूत्रधार सूर्यकांत तिवारी को बताया गया है तथा छल-कपट- बलपूर्वक यह सिद्ध करने का षड्यंत्र किया जा रहा है । ई.डी. की कहानी में सच्चाई होती तो उनके अधिकारियों को थर्ड ग्रेड हथकन्डे नहीं अपनाने पड़ते। ई.डी. अधिकारियों के कई प्रयासों के बावजूद अभी तक फर्जी कहानियों को प्रमाणित नहीं किया जा सका है। इसी हताशा में ई.डी. द्वारा अब कांग्रेस के नेताओं को टारगेट कर उनके विरूद्ध झूठे प्रकरण बनाये जा रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की जनता यह जानती है कि सूर्यकांत तिवारी के डॉ. रमन सिंह और राज्य भाजपा के प्रमुख नेताओं से घनिष्ट संबंध रहे हैं। उन्हीं के शासन में सूर्यकांत तिवारी ने कोयला व्यापार शुरू किया। सूर्यकांत तिवारी एवं जोगेन्दर द्वारा वर्ष 2010 से अडानी समूह के कोल व्यापार से संबंध होकर उनके लिये कोल व्यापार आरंभ किया। विगत 3-4 वर्षों में अडानी समूह की भागीदारी में लगभग 100 मैट्रिक टन कोयले का परिवहन सूर्यकांत एवं जोगेन्दर द्वारा किया गया। इससे सूर्यकांत तिवारी, जोगेन्दर एवं अडानी समूह को 100-100 करोड़ का लाभ हुआ। अडानी समूह को उनके लाभ के हिस्से की पूरी राशि सूर्यकांत तथा जोगेन्दर द्वारा हवाले के माध्यम से भेजी गयी है। सूर्यकांत तिवारी एवं जोगेन्दर द्वारा अपने निकट मित्रों एवं संबंधियों को उक्त जानकारी स्वयं ही दी थी। उन दोनों ने यह भी बताया था कि आयकर अधिकारियों द्वारा जून 2022 में उनके घरों से जब्त मोबाईल में अडानी को करोड़ों की राशि अवैध रूप से हवाला के माध्यम से भेजे जाने के सारे प्रमाण मौजूद हैं। अडानी समूह को हवाला के माध्यम से करोड़ों की राशि के पूरे प्रमाणित दस्तावेज आयकर अधिकारियों द्वारा निश्चित रूप से ई.डी. के अधिकारियों को दिये गये होंगे, क्योंकि ईडी को पूरा केस आयकर छापों में जब्त दस्तावेजों एवं बयानों के आधार पर किया गया है। यह अत्यंत ही आश्चर्य की बात है कि ई.डी. अथवा आयकर अधिकारियों द्वारा अडानी समूह के संचालकों के विरूद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। अडानी समूह के बड़े पदाधिकारी अमन सिंह एवं उनके आका डॉ. रमन सिंह के ईशारे पर ये गंभीर षडयंत्र ई.डी. के अधिकारियों द्वारा किया गया है।

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