तेंदूपत्ता पर विपक्ष ने सरकार को घेरा…… सदन की कार्यवाही स्थगित

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा में आज तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में लगे लोगों का लाभ कम होने, तोड़ाई के दिन कम हो जाने एवं बोनस का लाभ नहीं दिए जाने के लिए विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। विपक्ष ने इस पर स्थगन देकर चर्चा कराने की मांग की। सभापति व्दारा स्थगन अग्राह्य कर दिए जाने पर विपक्ष की ओर से नारेबाजी हुई। शोरशराबे के कारण सभापति को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

शून्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भाजपा शासनकाल में तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादूका दी जाती थी। 2018 में कांग्रेस की सरकार आते ही इस योजना को बंद कर दिया गया। 2003 में तेंदूपत्ता की पारिश्रमिक दर जो 350 रुपये प्रति मानक बोरा थी उसे बढ़ाकर 2500 रुपये भाजपा सरकार के समय में ही किया गया। 2017 में हमारी सरकार के समय में 17.10 लाख मानक बोरे तेंदूपत्ता का संग्रहण होता था, जिसकी नीलामी के बाद 1358 करोड़ रुपये वन समितियों को प्राप्त होते थे। इसके अनुसार प्रति मानक बोरा लगभग 8 हजार रुपये का होता था। कांग्रेस की सरकार आने के बाद 2021 में तेंदूपत्ता संग्रहण कम होकर 13 लाख मानक बोरा हो गया। उसमें भी 10 लाख 32 हजार मानक बोरा ही यह सरकार बेच पाई, जिससे मात्र 704 करोड़ रुपये ही वन समितियों को मिले। इस प्रकार घटकर प्रति मानक बोरा लगभग 6 हजार 800 रुपये हो गया। पहले तेंदूपता तोड़ाई 15 से 18 दिन चला करती थी अब दो-तीन दिन में ही खत्म हो जा रही है। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा बस्तर और सरगुजा में तेंदूपत्ता तोड़ने का काम अब एक या दो दिन ही हो पा रहा है। ये शोषण करने वाली सरकार है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता को हरा सोना कहा जाता है। आंकड़े और तथ्य बताते हैं कि इस सरकार में तेंदूपत्ता का काम पिछड़ गया है। वरिष्ठ भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि भाजपा शासनकाल में तेंदूपत्ता बिकने के बाद बोनस भी दिया जाता था। इस सरकार व्दारा तेंदूपत्ता प्रति मानक बोरा 2500 रुपये से बढ़ाकर 4 हजार किए जाने के बाद भी तेंदुपत्ता के काम में लगे लोगों की आमदनी घट रही है। सरकार ने केवल झुनझुना पकड़ाने का ही काम किया है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पहले तेंदूपत्ता के काम में लगे लोगों को बोनस के रूप में ज्यादा लाभ मिलता था। यह सरकार केवल गरीबों का शोषण ही कर रही है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जल, जंगल जमीन को बचाने की जरूरत है। भाजपा सरकार के समय वर्ष 2017 में 17 लाख 10 हजार मानक बोरे का संग्रहण हुआ। इसमें तेंदुपत्ता संग्राहकों को कुल 427 करोड़ पारिश्रमिक के रूप में एवं 749 करोड़ प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान हुआ था। इस प्रकार 2017 में कुल 1176 करोड़ का भुगतान हुआ। वहीं कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2021 में कुल 13 लाख मानक बोरे का संग्रहण कर पारिश्रमिक के रूप में 520 करोड़ एवं प्रोत्साहन राशि के रूप में सिर्फ 110 करोड़ का भुगतान किया। कुल 630 करोड़ का भुगतान हुआ। इस प्रकार वनवासियों को तेंदूपत्ता संग्रहण की मिलने वाली कुल राशि में बड़ा अंतर है। इसका सीधा असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। लाभांश की राशि अन्य मदों में खर्च की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस पर हमने स्थगन दिया है। सदन की सारी कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा कराई जाए। भाजपा विधायकगण पुन्नूलाल मोहले, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, रजनीश कुमार सिंह, सौरभ सिंह, डमरूधर पूजारी एवं श्रीमती रंजना डिपेन्द्र साहू ने भी तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

सभापति धनेन्द्र साहू ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण एवं उसके पारिश्रमिक दर पर विपक्ष ने स्थगन दिया है। विचारोपरांत मैंने स्थगन को अग्राह्य कर दिया है। स्थगन अग्राह्य कर दिए जाने पर भाजपा विधायकगण विरोध जताते हुए नारेबाजी करने लगे। जवाब में सत्ता पक्ष की ओर से भी नारेबाजी शुरु हो गई। शोर शराबे के कारण सभापति को सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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