प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा- “जैसा नाम ही डिफ्रेंट है ‘जिमी कांदा’…… ख़ूब मनोरंजन करेगी…”

मिसाल न्यूज़

प्रोड्यूसर गजेन्द्र श्रीवास्तव की छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘जिमी कांदा’ 7 अप्रैल को पूरे जोर-शोर के साथ सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। श्रीवास्तव कहते हैं कि ‘मारे डारे मया म’ के बाद हम एक और अच्छी फ़िल्म ‘जिमी कांदा’ देने जा रहे हैं। अंतर यही है दोनों फ़िल्मों का टेस्ट एकदम अलग है। जैसा कि नाम ही कुछ डिफ्रेंट है ‘जिमी कांदा’- मानकर चलिए यह फ़िल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेगी।

‘मिसाल न्यूज़’ से बातचीत के दौरान गजेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि “बचपन से ही मेरे भीतर फ़िल्म को लेकर जबरदस्त दीवानगी थी। अपने गृह नगर सक्ती में रहकर कॉलेज़ की पढ़ाई कर रहा था तब मन बना चुका था कि मुम्बई जाकर एक्टर बनना है। चाहे इसके लिए घर से भागना ही क्यों न पड़ जाए। कॉलेज़ पूरा नहीं हो पाया था कि मालूम हुआ पिता को कैंसर है। पिता नौ साल तक कैंसर से घिरे रहे। स्वाभाविक है ऐसे में घर-परिवार की ज़िम्मेदारी सबसे अहम् हो जाती है। 1982 में सक्ती से कोरबा शिफ्ट हुआ और वक़ालत शुरु कर दी। कोरबा में ही बच्चों का शादी ब्याह किया। घरेलू जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद तय किया कि भले ही एक्टिंग का शौक पूरा नहीं हो पाया लेकिन सिनेमा से जुड़े अपने सपनों को ज़रूर पूरा करना है। चाहे वह किसी रूप में भी पूरे हों और मैंने सीधे मुम्बई की राह पकड़ ली। वहां रहते हुए मैंने हिन्दी फ़िल्म ‘भूत वाली लव स्टोरी’ बनाई। मैं इस फ़िल्म का ज्वाइंट प्रोड्यूसर था। बाद में यह फ़िल्म पूरी तरह मेरी हो गई। छत्तीसगढ़ में जब डायरेक्टर मनीष मानिकपुरी से मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बताया कि उनके पास छत्तीसगढ़ी फ़िल्म को लेकर एक अच्छा सब्जेक्ट है। मैंने उनसे कहानी सुनी और उसके बाद ‘मार डारे मया म’ बनाना तय हुआ। ‘मार डारे मया म’ पिछले वर्ष रिलीज़ हुई थी जो कि काफ़ी सराही गई। यह ‘केजीएफ’ जैसी फ़िल्म के सामने रिलीज़ हुई थी। ऐसे में ‘मारे डारे मया म’ के बिजनेस पर असर तो पड़ना ही था। यह फ़िल्म रायपुर और कोरबा में 3 बार तथा दुर्ग और धमतरी में 2 बार लगी। रिपीट में भी इस फ़िल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। हमारी एक और फ़िल्म बनकर रेडी है ‘मया होगे चोरी चोरी‘, राजेश अवस्थी इस फ़िल्म के हीरो हैं। पहले हम ‘जिमी कांदा’ लेकर आ रहे हैं।“

आप और डायरेक्टर अनुपम भार्गव कैसे जुड़े, यह पूछने पर गजेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं- “वो ‘बिहाव कैंसिल’ वेब सीरीज का कॉसेप्ट लेकर मेरे पास आए थे। हमने इस पर काम किया और लोगों को यह काफ़ी अच्छा लगा। ‘बिहाव कैंसिल’ के बाद अनुपम ने हमारे लिए ‘जीतौ खेल खेल’ में रियलिटी गेम तैयार किया, ये भी सक्सेस रहा। इन दो सफलताओं के बाद स्वाभाविक है हमें कोई बड़ा काम करना था और वह बड़ा काम ‘जिमी कांदा’ के रूप में सामने आ रहा है।“

अनुपम ने न सिर्फ़ ‘जिमी कांदा’ निर्देशित की बल्कि लंबे समय बाद इस फ़िल्म से हीरो के रूप में वापसी कर रहे हैं उनसे तालमेल कैसा रहा, इस सवाल पर श्रीवास्तव कहते हैं- “जिमी कांदा की मेकिंग के समय मैंने अनुपम को फ्री हेंड दिया था। इस फ़िल्म में आपको भव्यता दिखेगी। तयशुदा बजट में अनुपम जिस तरह 3 महीने में मल्टीस्टारर फ़िल्म की मेकिंग के बाद उसे पर्दे पर पहुंचा दे रहे हैं, यह किसी चमत्कार से कम नहीं।“

‘मार डारे मया म’ के बाद ‘जिमी कांदा’ में भी देखने को मिल रहा है कि आपकी फ़िल्म के म्यूज़िक की कुछ एक्स्ट्रा पब्लिसिटी होती है… यह जिक्र करने पर श्रीवास्तव कहते हैं- “संगीत से मुझे गहरा लगाव रहा है। किसी समय में ख़ूब ग़ज़लें सुना करता था। अब तो वक़्त को लेकर भारी मारामारी है। संगीत से जो लगाव है वह मेरी फ़िल्म में भी नज़र आता है। आपका कोरबा से ज़्यादा समय तो अब रायपुर में बीतने लगा है…यह कहने पर श्रीवास्तव कहते हैं- “पूरी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म इंडस्ट्री रायपुर में खड़ी है। हो सकता है कुछ समय बाद आपको रायपुर में भी मेरा स्थायी पता मिल जाए।“

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