मिसाल न्यूज़
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय चुनाव मीडिया संयोजक व प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) के विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में गिरफ्तार लोगों की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने जो टिप्पणी की है वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जानकारी में तो होगी ही। मुख्यमंत्री लगातार दोहराते रहे हैं कि भाजपा की तरफ से ईडी, आईटी एवं सीबीआई चुनाव लड़ रही है। तो क्या वे अब इसमें हाईकोर्ट को भी शामिल करेंगे? हाईकोर्ट के निर्णय से यह साफ हो गया है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को शराब से अवैध कमाई की लत लगी हुई है। इस सब के बाद भी क्या मुख्यमंत्री को लेकर ऐसा कहा जा सकेगा कि कका जिंदा है।
एकात्म परिसर में आज पत्रकार वार्ता में सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में सरकारी मुलाजिमों, सीएसएमसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कुछ लोगों इन सबको हाई कोर्ट के जजमेंट में ‘सिंडीकेट’ कहा गया है। सोची-समझी रणनीति के तहत सीएसएमसीएल को सिंडीकेट की कठपुतली बना दिया गया था। यह कोई सामान्य बात नहीं है। सीएसएमसीएल की दुकानों के माध्यम से अवैध और नकली होलोग्राम से नकली शराब बिक रही थी। साथ-ही-साथ सिंडीकेट ने यह भी प्लानिंग की कि जो विदेशी शराब आती है, उसके लिए नए प्रावधान कर दें। इसके लिए एक लाइसेंस बना दिया जिसे एफएल 10-ए कहा जाता है। उसके तहत उन लोगों ने 10 प्रतिशत का कट (कमीशन) लेना शुरू किया। सिंह ने कहा कि मैं जिन तथ्यों को रख रहा हूं वह हाई कोर्ट के जजमेंट में हैं। इसमें जिक्र है 19.2 करोड़ की अवैध बोतलों पर नकली होलोग्राम लगाकर उसे बेचा गया। 2019-20 से लेकर 2022-23 तक यह सब चला। अवैध शराब से 2,161 करोड़ रुपए इन लोगों ने कमाया है। जजमेंट में एक महत्वपूर्ण तथ्य का जिक्र है जिसमें कि ईओडब्ल्यू डीआईजी ने चिट्ठी लिखकर सवाल उठाया था कि यह सिंडिकेट किस प्रकार से अवैध शराब का धंधा चला रहा है?
सिध्दार्थनाथ सिंह ने प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि भाजपा के लिए ईडी, सीबीआई, आईटी चुनाव लड़ती है, क्या अब वे इन तीनों के साथ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नाम भी जोड़ना चाहेंगे? छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लो और नवीन पुरोहित ने मिलकर 19.2 करोड़ नकली शराब की बोतलें बेचकर 2161 करोड़ रु का घोटाला किया। अब प्रदेश को यह भी बताया जाना चाहिए कि इस सिंडीकेट से मुख्यमंत्री का क्या रिश्ता था? क्योंकि, हम लोग अब जनता के बीच में हैं। क्या रिश्ता होने के कारण ही डीआईजी की चिट्ठी पर प्रदेश की भूपेश सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की? 2000 करोड़ रुपए की जो लूट थी, उसमें दिल्ली को भी हिस्सा गया, क्योंकि मुख्यमंत्री एटीएम बने हुए थे। 19.2 करोड़ बोतलों की नकली होलोग्राम के जरिए बिक्री हुई है। इतनी बड़ी बिक्री राज्य में हो रही थी, क्या मुख्यमंत्री को इसका पता ही नहीं चला? सिंह ने कहा कि भाजपा अवैध शराब का मुद्दा उठाती रही और मुख्यमंत्री चुप रहे। अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी इस विषय पर तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेते हुए बेल खारिज की है। हाईकोर्ट के विषय पर जो उन्होंने बेल खारिज कर कहा है, अब मुख्यमंत्री इस पर भी चुप्पी बनाए रखेंगे या कुछ बोलेंगे? यहां पर आपकी मीडिया टीम कहती रही है कका जिंदा है। यह जो घोटाले हो रहे हैं, इसके बाद भी क्या यह कहेंगे कि कका जिंंदा है? जब भाजपा की सरकार थी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को प्यार से चावल वाले बाबा कहा जाता था।
पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा, प्रदेश प्रवक्ता दीपक म्हस्के, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल और उप्र के भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला उपस्थित थे।