भूपेश बघेल सरकार के हार्ड पावर और सॉफ्ट पावर वाले प्रयोग से नक्सलवाद हुआ कम- मनीष तिवारी

मिसाल न्यूज़

रायपुर। वरिष्ठ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार ने हार्ड पावर और सॉफ्ट पावर का समिश्रण तैयार कर नक्सली समस्या पर काबू पाने की जो कोशिश की उसमें काफी हद तक सफलता मिली है। आज छत्तीसगढ़ में केवल 3 जिलों के कुछ सीमावर्ती इलाकों में नक्सलवादियों का प्रभाव बचा है।

राजीव भवन में आज पत्रकार वार्ता में मनीष तिवारी ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था नक्सलवाद की समस्या 4 ब्लॉक तक सीमित थी। भाजपा के शासनकाल में नक्सलवाद की समस्या 14 जिलों तक फ़ैल गई थी।  कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलवाद को लेकर संजीदा तरीके से रणनीति बनाई। उन्होंने सरकार की हार्ड पावर और सॉफ्ट पावर का समिश्रण तैयार कर नक्सल समस्या पर काबू पाने की कोशिश की। नतीजा ये हुआ कि छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल में नक्सल वारदातों में 52 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। नक्सल प्रभावित इलाकों में बंद पड़े 314 स्कूल खोले गए हैं। राशन कार्ड युद्ध स्तर पर बनाये गए और पीडीएस की दुकानें खोली गई हैं। आज छत्तीसगढ़ में केवल 3 जिलों के कुछ सीमावर्ती इलाकों में नक्सलवादियों का प्रभाव बचा है। कोई भी प्रदेश तभी विकास कर सकता है, जब वहां कानून व्यवस्था दुरुस्त हो। उन दिनों को याद कीजिये जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नक्सलियों ने चंद मिनटों में खत्म कर दिया था। भाजपा की सरकार में बड़े-बड़े नक्सली हमले होते थे, लेकिन पिछले 5 सालों में कांग्रेस की सरकार में काफी हद तक परिस्थितियां सामान्य हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या दोबारा न पनपने पाए जरूरी है यहां कांग्रेस की सरकार दोबारा बने।

तिवारी ने कहा कि पिछले साढ़े नौ वर्षों में एनडीए भाजपा सरकार की तरफ से एक शब्द निरंतर और लगातार सुनने को मिलता रहा है मस्कुलर नेशलिज्म। इसका हिन्दी में अर्थ होगा डोले वाला राष्ट्रवाद। दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि जब परिस्थितियां जटिल हो जाती हैं तो ये मस्कुलर नेशलिज्म कहीं पर दिखाई नहीं देता। आज एक छोटे से मुल्क कतर में भारत के 8 सेवानिवृत्त नौसेना के उच्च अधिकारियों को मौत की सजा सुना दी गयी। उन पर क्या आरोप है? उन पर कहां पर मुकदमा चला? उस मुकदमा का फैसला कहां है? कुछ अता पता नहीं है। ये वो 8 सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी हैं जिनको भारत ने कई बार सम्मान दिया। वो पिछले अगस्त 2022 से सॉलिट्री कन्फाइनमेंट में थे और उसके बाद उनको मौत की सजा सुना दी गयी। भारत सरकार की तरफ से, विदेश मंत्रालय की तरफ से उनकी रिहाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। लगातार यह बात सरकार के संज्ञान में लाई गई है। सरकार किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही है। एक छोटा सा मुल्क है कतर जिसने एनडीए भाजपा सरकार की मस्कुलर नेशनलिज्म की हवा निकालकर रख दी। लोगों की जिंदगी आज जोखिम में है। अप्रैल 2020 से चीन भारत की सरजमीं में घुसा है। एक उच्च अधिकारी ने जो लद्दाख की एसएसपी हुआ करते थे ने एक पेपर में लिखकर ये बात कही कि पूर्वी लद्दाख में 56 ऐसे पेट्रोलिंग पॉइंट है जहां पर अप्रैल 2020 से पहले भारत की सेना गश्त लगा करती थी। आज उन 56 में से 26 ऐसी जगह है जहां पर भारत की सेना नहीं जी सकती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *