कारवां (19 मई 2024) ● तो ये हैं किशोरीलाल… ● कौन होंगे दो नये मंत्री… ● पीएम साहब को भी बैठा दें परेशानी रहेगी बरक़रार… ● नगरीय निकाय पर भी भाजपा की तैयारियां शुरु… ● रायपुर महापौर के लिए भाजपा से दौड़ में कौन…● ग़ज़ब की स्टोरी ड्रग सप्लायरों की…● साहब की चिंता…

■ अनिरुद्ध दुबे

फरवरी 2023 को रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था। अधिवेशन में मंच से अपने संबोधन के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा था कि “मेरे मित्र किशोरीलाल जी यहां उपस्थित हैं।“ तब कितने ही लोगों के मन में सवाल उठा था कि ये किशोरीलाल कौन हैं? सामान्यजन के बीच उठे उस सवाल का ज़वाब अब सामने आ चुका है। प्रियंका ने जिनका नाम लिया था वह कोई और नहीं इस समय कांग्रेस की टिकट पर अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे किशोरीलाल हैं। अमेठी गांधी परिवार की पारिवारिक सीट रही है। राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी तक अमेठी से सांसद रहे। 2019 के चुनाव में राहुल गांधी अमेठी सीट से लड़े और भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से हार गए थे। इस बार राहुल गांधी ने अमेठी के बजाय गांधी परिवार की एक और परंपरागत सीट रायबरेली से लड़ना मुनासिब समझा। रही बात अमेठी की तो यहां से गांधी परिवार ने अपने बेहद वफ़ादार माने जाने वाले किशोरीलाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारना वाज़िब समझा। बैजू के बाद एक किशोरीलाल ही हैं जिनकी चर्चा रायपुर के कांग्रेसी अक्सर करते रहते हैं। राहुल गांधी की सूरक्षा की ज़िम्मेदारी बैजू पर रहती है और रायपुर के कुछ खाटी किस्म के कांग्रेसी फोन पर बैजू को यहां का हाल-चाल बताते रहते हैं।

कौन होंगे दो नये मंत्री

बृजमोहन अग्रवाल यदि लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली में मोर्चा सम्हालते हैं तो उनके मंत्री पद से हटने के बाद जगह कौन लेगा इस पर अटकलों का दौर जारी है। यदि बृजमोहन अग्रवाल मंत्री पद से हटते हैं तो एक नहीं दो मंत्री पद रिक्त हो जाएंगे। सरकार बनते ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जब अपने मंत्री मंडल का गठन किया तब एक मंत्री पद रिक्त रखा था। दो मंत्री पद रिक्त होने की स्थिति बनते देख कुछ दिग्गज भाजपा विधायक संभावनाएं तलाशने में लग गए हैं। भाजपा से गहराई से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि एक रिक्त मंत्री पद सामान्य तथा दूसरा रिक्त पद किसी ओबीसी नेता को दिया जा सकता है। सामान्य वाली स्थिति में अमर अग्रवाल एवं राजेश मूणत का नाम सबसे ऊपर है। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के समय भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार रहे उस समय के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने अमर अग्रवाल के लिए पूरा जोर लगा दिया था, लेकिन दिल्ली तरफ हवा का रूख़ कुछ और था। अभी भी अमर अग्रवाल के लिए दिल्ली में पूरा जोर लग सकता है। रही बात राजेश मूणत की तो वे शुरु से डॉ. रमन सिंह के बेहद क़रीबी और विश्वसनीय माने जाते रहे हैं। इस समय डॉ. रमन सिंह की गुड बुक में दो नाम राजेश मूणत एवं भावना बोहरा हैं। यदि मंत्री पद के लिए ओबीसी फैक्टर पर विचार किया गया तो स्वाभाविक है धरमलाल कौशिक एवं अजय चंद्राकर ये दो ही नाम पार्टी के दिग्गज नेताओं के सामने विचारार्थ होंगे।

पीएम साहब को भी बैठा

दें परेशानी रहेगी बरक़रार

रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर कह गए कि “वार्डों में जो समस्याएं हैं न… पीएम साहब को भी लाकर बैठा दें तो भी परेशानियां बरक़रार रहेंगी। पानी, साफ सफाई एवं लाइट ये समस्याएं अनवरत् रहेंगी। इन्हें कोई ख़त्म नहीं कर सकता।“    महापौर का इतना कहना ही था कि भाजपा की तरफ से लगातार हमले शुरु हो गए। उप मुख्यमंत्री अरुण साव से लेकर निवर्तमान सांसद सुनील सोनी, भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री संजय श्रीवास्तव एवं भाजपा प्रवक्ता अमित चिमनानी ने ढेबर पर शाब्दिक हमला बोला। यह इलेक्ट्रानिक उपकरणों का युग है। मीडिया के कैमरे तो चलायमान रहते ही हैं, हर हाथ में नज़र आने वाले मोबाइल कैमरे में भी न जाने क्या-क्या कैद हो जाता है! ढेबर ने जो कहा सो कहा 1999 में जब इसी रायपुर नगर निगम में तरुण चटर्जी महापौर थे तब बहुत बड़ी बात कह गए थे कि “साक्षात् राम भगवान भी नगर निगम में आकर बैठ जाएं तो भी समस्याएं ख़त्म नहीं होने वाली।“ तब प्रिंट मीडिया का युग था। न तो चैनल थे और न ही हाथों में स्मार्ट फोन। तरुण दादा व्दारा कही गई वह बात बिना कोई तूल पकड़े आई गई हो गई थी।

नगरीय निकाय पर भी

भाजपा की तैयारियां शुरु

अभी तो लोकसभा चुनाव का रिज़ल्ट भी नहीं आया है और भाजपा में इसी साल होने वाले नगरीय निकाय चुनावों को लेकर चिंतन मनन का दौर शुरु हो गया है। इसी ‘कारवां’ कॉलम में पूर्व में लिखा जा चुका है कि भाजपा, महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी जनता के मतदान से कराने के पक्ष में है। वहीं इन दिनों भाजपा के अरुण साव एवं सुनील सोनी जैसे नेता नगर निगमों से जुड़े मुद्दों को लेकर जिस तरह हमलावर नज़र आ रहे हैं उसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि भाजपा की नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां शुरु हो गई हैं।

रायपुर महापौर के लिए

भाजपा से दौड़ में कौन 

इस बात को लेकर भी चर्चा शुरु हो गई है कि यदि प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनाव होता है तो रायपुर महापौर के लिए भाजपा की तरफ से टिकट की दौड़ में कौन-कौन होगा। मोटे तौर पर तो अभी भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव समेत प्रफुल्ल विश्वकर्मा, श्रीमती मीनल चौबे, रमेश ठाकुर, सूर्यकांत राठौर एवं मृत्युंजय दुबे का नाम सामने आ रहा है।

ग़ज़ब की स्टोरी

ड्रग सप्लायरों की

रायपुर पुलिस ने नशीले पदार्थ सप्लाई करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के 4 लोग पकड़े गए। पकड़े गए लोगों ने पुलिस के सामने ड्रग्स सप्लाई की जो स्टोरी सुनाई उससे मानो जासूसी उपन्यास लिखने वाले इब्ने शफ़ी एवं कर्नल रंजीत जैसे राइटर याद आ गए। इब्ने शफ़ी एवं कर्नल रंजीत के पात्रों के नाम काफ़ी इंट्रेस्टिंग हुआ करते थे। इसी तरह ड्रग्स के क़ारोबार में लिप्त इन युवक युवतियों ने अपने नये क़ारोबारी नाम रख लिए थे। ये सब ‘मनी हाईस्ट’ वेब सीरीज़ से प्रभावित थे। गैंग लीडर युवक ने अपना नाम प्रोफेसर रखा हुआ था। साथ में जो युवती काम कर रही थी उसे लूसीफर नाम दिया गया था। वहीं एक युवक का नाम बर्लिन था। इन्होंने अपने काम करने का जो तरीका अपना रखा था उसे सुनकर हॉलीवुड की फ़िल्में याद आने लगें। ऐसी घटनाओं के बारे में सुनकर लगने लगा है कि वाकई रायपुर शहर बहुत बड़ा हो गया है। 90 के दशक में जब रायपुर शहर छोटा था अलग-अलग इलाकों में रहकर अपराधिक कृत्य में लिप्त रहने वालों के लावारिस, बठाली एवं चोट्टिन जैसे नाम सुनने में आया करते थे। उस दौर में रायपुर के व्यस्ततम इलाके तात्यापारा में एक शख़्स रहा करता था जो जिंजर जैसी नशीली दवा बेचा करता था। कभी-कभी पुलिस उसे पकड़ ले जाती, लेकिन छूटने में भी देर नहीं लगती थी। महानगर की शक्ल ले रहे रायपुर के ड्रग कनेक्शन अब सीधे गोवा से जुड़ जाएं तो इसमें अचरज क्या। हुक्का पर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रतिबंध है फिर भी चोरी छिपे हुक्का का सामान मिले जा रहा है। दिन में उमस बेचैन किए दे रही है तो रातें नशे में रंगीन हैं।

साहब की चिंता

जेल में बंद एक रिटायर्ड अफ़सर को ज़्यादा तकलीफें न उठानी पड़े को लेकर न जाने कितने ही लोग चिंतित हैं। चिंतित भला क्यों न हों, उन रिटायर्ड अफ़सर के राजनीति से लेकर प्रशासन व मीडिया वालों से मधुर संबंध जो रहे। हाल ही में एक बड़े बिजनेसमेन, एक बड़े पुलिस अफ़सर और रिटायर्ड अफ़सर के परिवार के एक सदस्य किसी ख़ास जगह पर बैठे। इनके बीच काफ़ी देर तक यही विचार विमर्श चलते रहा कि साहब के लिए भीतर क्या अच्छे से अच्छा हो सकता है।

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