मिसाल न्यूज़
रायपुर। नगरीय निकाय मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एक बार फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है और झीरम घाटी कांड पर गठित नये न्यायिक जांच आयोग को निरस्त करने की मांग की है। जिस तरह भाजपा के बड़े नेता बार-बार जांच में बाधा खड़ी कर रहे हैं उससे संदेह होता है कि कहीं झीरम कांड में उनकी संलिप्तता तो नहीं?
राजीव भवन में आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मंत्री डॉ.शिव कुमार डहरिया ने कहा कि झीरम घाटी कांड की जांच सबसे अधिक भाजपा के शासनकाल में हुई। जाहिर सी बात है कि जांच के बिन्दु भी भाजपा ने ही तये किये होंगे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक शायद ये भूल गये हैं कि भाजपा के शासनकाल में 2013 से लेकर 2018 तक झीरम घाटी जांच आयोग की जांच पूरी नहीं हुई। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी आयोग की समय वृद्धि की गई। आयोग ने समय वृद्धि के लिये फिर से शासन को लिखा था। जस्टिस प्रशांत मिश्रा का तबादला हो जाने के बाद आयोग की ओर से राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी। हमारी सरकार को लगता है कि झीरम घाटी कांड की जांच और गहराई से होना जरूरी है। इसके बिना झीरम घाटी घटना का सच सामने नहीं आ पायेगा। इसीलिये सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। झीरम घाटी कांड एक ऐसा कांड था जिसने कांग्रेस की एक पूरी पीढ़ी को ही समाप्त कर दिया। यह दुर्दान्त और हृदय विदारक घटना डॉ. रमन सिंह के राज में घटित हुई। यह बात अब इतिहास से कभी मिटने नहीं वाली है। जैसे ही झीरम घाटी कांड की जांच की बात आती है पता नहीं क्यों भाजपा के बड़े नेताओं के बीच खलबली मच जाती है। किसी न किसी प्रकार से वे इसकी जांच को बाधित करने में जुट जाते हैं। कभी बयानबाजी करते हैं। कभी आंदोलन करते हैं, कभी कोर्ट की शरण में जाते हैं तो कभी पीआईएल दायर करते हैं।
डहरिया एक साथ कई सवाल उठाए कि क्या धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि झीरम घाटी कांड की जांच से ऐसा कोई सच निकलकर बाहर आ जायेगा जिससे तत्कालीन भाजपा सरकार के किसी कुत्सित चेहरे पर से नकाब उठा जायेगा? क्या कौशिक इस बात से डरते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार की नाकामी, उनके द्वारा कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा मुहैया करवाने में बरती गई घोर लापरवाही सामने आ जायेगी? क्या कौशिक इस बात से डरते हैं कि इस नक्सली घटना के पीछे की किसी बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो जायेगा जिसका प्रभाव इनकी पूरी पार्टी पर पड़ सकता है? क्या हमारे शहीद नेताओं को, हमारे सुरक्षा बलों के जवानों को और इस घटना में मारे गये आम नागरिकों को न्याय पाने का अधिकार नहीं है? क्या सिर्फ आपके राजनीतिक स्वार्थ और डर के कारण इस झीरम घाटी कांड की जांच भी न करवाई जाए?