……इसलिए ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ में डॉक्टर का किरदार मेरे हिस्से आया- डॉ. रियाज़

मिसाल न्यूज़

‘हिमोलिम्फ’ जैसी प्रयोगवादी हिन्दी फ़िल्म में मुख्य किरदार निभा चुके डॉ. रियाज़ अनवर छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ में डॉक्टर के किरदार में नज़र आएंगे। रियाज़ बताते हैं- “मोर मया ला राखे रहिबे’ के हीरो बॉबी खान मेरे बड़े भाई हैं। उन्हीं को देखकर मेरे भीतर अभिनय का शौक जगा। चूंकि अभिनेता होने के साथ-साथ एमबीबीएस डॉक्टर भी हूं इसलिए ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ में डॉक्टर का ही एक अहम् किरदार मेरे हिस्से आया।“

रियाज़ बताते हैं- “बचपन से ही मैं बड़े भाई बॉबी खान जी के फ़िल्मों के प्रति रूझान को देखते आ रहा था। देखा जाए तो हम दोनों ही भाइयों में हमेशा से कुछ अलग करने की चाह रही। नाम और प्रसिद्धि कौन नहीं चाहता! फिर हमारे देश में क्रिकेट एवं सिनेमा यही दो ऐसी चीज़ें हैं जो काफ़ी लोकप्रियता दिलाती हैं। चूंकि मैं पढ़ाई में शुरु से ही ठीक-ठाक रहा तो घर वालों का प्रेशर था कि तुम्हें डॉक्टर बनना है। किसी समय में मेरा पूरा फ़ोकस डॉक्टरी पढ़ाई की तरफ ही रहा। एमबीबीएस कर लेने के बाद लगा कि क्यों न अपने अभिनय के पुराने शौक को जगाया जाए। फिर फ़िल्म नगरी मुम्बई को ही ठिकाना बनाते हुए वहां डॉक्टरी शुरु कर दी। साथ में फ़िल्मों को लेकर संभावनाएं तलाशने लगा। जेफ गोल्डबर्ग एक्टिंग स्टूडियो में ट्रेनिंग ली। इसके अलावा ‘स्पंदन’ थियेटर ग्रुप से जुड़ा। ‘स्पंदन’ से जुड़े रहते हुए ‘पिता’ ड्रामा किया। फ़िल्मों से जुड़ी हस्ती सुदर्शन गमारे मेरे मित्र हैं। उन्होंने कुछ बेहतरीन शॉर्ट फ़िल्में बनाई हैं। हम आपस में सिनेमा को लेकर काफ़ी डिस्कस करते रहते हैं। 2016 में तय किया कि आतंकवाद के नाम पर बेवज़ह प्रताड़ना के शिकार हुए अब्दुल वाहिद शेख़ की कहानी पर क्यों ना फ़िल्म बनाई जाए। मैं और गमारे जी उनसे मिले। वाहिद जी पर लंबा रिसर्च शुरु हुआ। फिर फ़िल्म ‘हिमोलिम्फ’ की योजना तैयार हुई और हमने क़रीब ढाई घंटे में बड़ी कहानी को पर्दे पर समेटा।“ अब्दुल वाहिद शेख़ का रोल आपने खुद किया बड़ा चैलेंजिग रहा होगा, इस सवाल पर रियाज़ कहते हैं- “वाकई वह किरदार कहीं से आसान नहीं था। शूट पर जाने से पहले वर्कशॉप लगाई गई। इंटरनेट पर मैंने उनके बारे में काफ़ी जानकारियां खंगाली। इस तरह ‘हिमोलिम्फ’ बनी।“

आप डॉक्टर हैं, ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ में डॉक्टर का ही किरदार क्यों, इस सवाल पर रियाज़ कहते हैं- “मैंने बॉबी भाई की पहली छत्तीसगढ़ फ़िल्म ‘सोन चिरैया’ में भी डॉक्टर का ही किरदार किया था। संयोग से ‘मोर मया ला राखे रहिबे’ की कहानी में भी डॉक्टर का एक छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण किरदार है। बॉबी भाई ने कहा इसे तुम्हीं करो, असल का कोई डॉक्टर करे तो पर्दे पर सब कुछ नैचुरल लगेगा। बॉबी भाई अगली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘बस कर पगली जान लेबे का’ जो बनाने जा रहे हैं लग रहा है उसमें भी मुझे डॉक्टर का रोल न करना पड़ जाए, क्योंकि यह कोरोना महामारी पर बेस्ड है।

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