● कारवां (18 सितंबर 2022)- भागवत का चंदखुरी जाना

■ अनिरुद्ध दुबे

कांग्रेसियों को प्रचार करने का अच्छा अवसर मिल गया कि हमारे निमंत्रण पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कौशल्या माता का दर्शन करने चंदखुरी गए। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा जब पिछले दिनों कार्यकर्ताओं को संबोधित करने रायपुर आए थे उन्होंने भी कौशल्या माता का स्मरण किया था। चाहे संघ प्रमुख हों या या भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष, यहां ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों राम की माता कौशल्या का स्मरण करते दिखे। मान्यता यही रही है कि अयोध्या राम का जन्म स्थल है तो छत्तीसगढ़ ननिहाल। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के बड़े भाई वरिष्ठ नेता श्याम बैस भाजपा के शासनकाल में मुख्यमंत्री से लेकर जो भी संस्कृति मंत्री रहे उनसे यह कहते-कहते थक चुके थे कि चंदखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर व राम वन गमन परिपथ की तरफ भी सरकार की ओर से कुछ काम होना चाहिए। राम वन गमन परिपथ पर श्याम बैस का गहरा रिसर्च है। चंदखुरी मंदिर व वन गमन परिपथ पर तत्कालीन भाजपा सरकार तो कुछ नहीं कर पाई वर्तमान कांग्रेस सरकार ने ज़रूर धर्म व अध्यात्म से जुड़े इस विषय को लपक लिया। कौशल्या माता मंदिर की कायापलट हो गई और वन गमन परिपथ पर काम चल ही रहा है। भूपेश सरकार राम के बाद ‘कृष्ण कुंज’ के बहाने कृष्ण की तरफ भी चली गई और इधर पिछली सरकार के लोग जय जय श्रीराम करते रह गए।

इंग्लिश विंग्लिश

हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता लाने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने हिन्दी दिवस पर अपना एक फैसला हिन्दी में जारी करवाया। छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश के हाईकोर्ट के फैसले अंग्रेजी भाषा में जारी होने की बात सुनने मिलती रही है। जस्टिस रजनी दुबे ने राष्ट्रभाषा के प्रति जो सम्मान पेश किया वह वंदनीय है। बैंकों व अन्य सरकारी दफ्तरों में अक्सर स्लोगन पढ़ने मिल जाया करता है कि “यदि आप हिन्दी में व्यवहार करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।“ यह स्लोगन दफ्तरों की दीवारों तक ही सीमित रह जाते हैं। बोलबाला तो अंग्रेजी का ही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अंग्रेजी शिक्षा पर जोर दे रहे हैं। उनके एक बड़े मिशन का नाम स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल है, लेकिन एक अच्छी बात यह भी है कि मुख्यमंत्री अंग्रेजी के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार प्रसार पर भी उतना ही जोर दे रहे हैं। जब इलेक्ट्रानिक मीडिया का दौर नहीं आया था और प्रिंट मीडिया का बोलबाला था तब अख़बार के दफ़्तरों में हिन्दी के साथ अंग्रेजी का ज्ञान रखने वालों को ज़्यादा इज्ज़त और पैसा मिला करता था। इसके पीछे बड़ी वज़ह अनुवाद हुआ करती थी। कई बड़े अंग्रेज़ी अख़बारों के महत्वपूर्ण समाचार या लेख  अनुवाद के साथ हिन्दी अख़बारों में प्रस्तुत हुआ करते थे। रायपुर के एक-दो अख़बार ऐसे थे जहां पत्रकारिता के क्षेत्र में  संभावनाएं तलाशते कोई युवक काम मांगने पहुंच जाता तो उससे यह सवाल ज़रूर होता था अंग्रेजी जानते हो? अंग्रेजी का वजन अख़बार के दफ़्तर क्या कॉलेजों तक में दिख जाता था। 1983 की बात रही होगी। तब रायपुर के दुर्गा कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर रणवीर सिंह शास्त्री थे, जो बाद में रायपुर ग्रामीण से विधानसभा चुनाव जीतकर अविभाजित मध्यप्रदेश की सरकार में मंत्री भी बने थे। बहरहाल जब शास्त्री जी प्राचार्य थे तब गवर्नमेंट हाई स्कूल से हायर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक युवक दुर्गा कॉलेज कॉमर्स में एडमिशन के लिए गया था। इंटरव्यू शास्त्री जी ही ले रहे थे। तब कॉमर्स की पढ़ाई हिन्दी में ही हुआ करती थी और विकल्प के तौर पर सामान्य हिन्दी या जनरल इंग्लिश में कोई एक विषय चुनने का प्रावधान था। शास्त्री जी ने इंटरव्यू देने गए युवक से पूछा कि “विकल्प के रूप में कौन सा विषय लेने सोच रखा है?” युवक ने कहा- “सामान्य हिन्दी।“ शास्त्री जी ने युवक से सीधे और सपाट लहज़े में कहा था कि “ये मत भूलो कि अंग्रेजी के बिना कामर्स गीले गोबर के समान है।“ युवक पर शास्त्री जी की बात असर कर गई थी और उसने जनरल इंग्लिश को चुना। शास्त्री जी उस जमाने में क्या सोचकर गोबर का उदाहरण दिए थे यह तो नहीं मालूम, भूपेश सरकार ज़रूर इस समय 2 रुपये किलो में गोबर खरीद रही है।

कला संस्कृति के बहाने

अमरीका यात्रा का सपना

विदेश तक छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को पहुंचाने की हवा बनाकर अपनी दुकानदारी जमा चुके कुछ लोगों ने एक मंत्री जी के मन में अमरीका घुमने की इच्छा शक्ति जगा दी है। मंत्री जी बचपन से ही अमरीका के बारे में काफ़ी कुछ पढ़ते सुनते आ रहे हैं। ऐसे में उनके भीतर अमरीका घुमने का सपना घर कर जाए तो इसमें आश्चर्य वाली क्या बात! केवल घुमने के नाम पर तो सरकारी यात्रा हो नहीं सकती, अतः ऐसा खाका तैयार किया गया है कि अमरीका के अमुक शहर में छत्तीसगढ़ की अमुक लोक कला व संस्कृति का प्रदर्शन होगा, जिसमें मंत्री जी ख़ास तौर पर उपस्थित रहेंगे। बताते हैं इस काम के लिए बकायदा सरकारी स्तर पर फाइल भी चलवा दी गई है। इस बात पर भी सोच विचार चल रहा है कि किन कलाकारों के दल को अमरीका ले जाया जाए। कला एवं संस्कृति से गहराई से जुड़े कुछ लोगों का अनुमान है कि अमरीका यात्रा पर दो करोड़ के आसपास खर्च बैठ सकता है। इसलिए कि मामला डॉलर का है! एक तरफ प्रदेश का खजाना खाली होने की कहानी आए दिन सुनने को मिलती रहती है वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग मिल बैठकर अमरीका यात्रा का प्लान तैयार करें तो है ना ये हिम्मत वाला काम!

मंत्री के ख़ास

जोन कमिश्नर

रायपुर नगर निगम के जोन कमिश्नर इधर से उधर हों तो वह भी अपने आप में बड़ी ख़बर बन जाती है। आखिर बात राजधानी के नगर निगम की जो ठहरी। पहली बार ऐसा हुआ है कि एक अफ़सर के कंधों पर दो जोन दफ्तरों की ज़िम्मेदारी डाली गई। विनय  मिश्रा जोन 1 व जोन 2 दोनों के कमिश्नर बना दिए गए। दो जोन कमिश्नर ऐसे भी हैं वे पहले जहां थे वहीं बने हुए हैं। जहां के तहां जमे रहने वाले एक जोन कमिश्नर पर मंत्री जी की मेहरबानी बताई जा रही है। इन जोन कमिश्नर साहब का ऑफिस और घर दोनों आसपास है। ये जोन कमिश्नर थोड़े मृदुल स्वभाव के माने जाते हैं। इसलिए इनके प्रति न नेताओं की नाराज़गी दिखती है न उच्चाधिकारियों की। वरना ये तो ऐसा नगर निगम है जहां बाल की खाल उतरने में देर नहीं लगती। माना जा रहा है दो जोन ऐसे हैं जहां नये कमिश्नरों को तालमेल बिठाने में लंबा वक़्त लगेगा। दोनों जोन में आने वाले वार्डों में बड़े से लेकर छुटभैये नेताओं तक की बड़ी फौज है।

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