बेरोजगारों का आंकड़ा देने वाली एजेन्सी को लेकर कई सवाल खड़े…… भाजपा विधायकों ने किया वॉक आउट

मिसाल न्यूज़

रायपुर। विधानसभा में आज एक घंटे के प्रश्नकाल में जिस पर सबसे ज़्यादा देर तक चर्चा हुई वह बेरोजगारी भत्ते से जुड़ा मामला था। छत्तीसगढ़ सरकार जिस सर्वे एजेन्सी के आधार पर बेरोजगारों का आंकड़ा प्रस्तुत कर रही है उस पर वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल पर सवाल खड़े किए। हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की ओर से हर सवाल का जवाब आया लेकिन उससे विपक्षी भाजपा विधायकगण संतुष्ट नहीं हुए और नारेबाजी करते हुए सदन से वाक आउट कर गए।

प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर व्दारा पूछे गए सवालों पर उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री उमेश पटेल की तरफ से जवाब आया कि प्रदेश के रोजगार पंजीयन कार्यालयों में 7 फरवरी 2023 तक की स्थिति में नवीन रोजगार चाहने वाले 18 लाख 78 हजार 126 व्यक्ति पंजीकृत हैं। छत्तीसगढ़ शासन व्दारा पृथक से बेरोजगारी दर निर्धारित नहीं की जाती है परन्तु सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकॉनोमिक) संस्था व्दारा बेरोजगारी दर के आंकड़े प्रसारित किए जाते हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार व्दारा इस संस्था के आंकड़ों को मान्यता नहीं दी गई है, परन्तु आर्थिक विश्लेषण एवं सर्वेक्षण के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्था होने के कारण इसके व्दारा सामने लाई गई जानकारी को सामान्य रूप से मान्य किया जाता है। संस्था व्दारा दी गई बेरोजगारी की परिभाषा एवं मूल्यांकन का आधार उसकी वेब साइट पर उपलब्ध है। अजय चंद्राकर ने सवाल उठाया कि जिस संस्था को सरकार मान्यता नहीं देती उसका क्या बार-बार इस तरह उल्लेख कर सकती है? उमेश पटेल ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से पूर्व में बेरोजगारी के आंकड़े जुटाने की व्यवस्था थी, जो कि पिछले कुछ सालों से बंद है। इसीलिए अन्य एजेन्सी व्दारा प्रस्तुत आंकड़ों को आधार बनाया गया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पूछा कि क्या रोजगार कार्यालयों से पंजीकृत लोगों की संख्या नहीं मिलती? आखिर उनसे आधार कार्ड व अन्य चीजें भी तो मांगी जाती होंगी? उमेश पटेल ने कहा कि रोजगार कार्यालय में पंजीकृत संख्या को ही आधार बनाया गया है। लेकिन पंजीयन के लिए आधार कार्ड मांगे जाने जैसा कोई प्रावधान नहीं है। इस पर कोर्ट की तरफ से स्पष्ट निर्देश हैं कि आधार कार्ड नहीं मांगा जा सकता। डॉ. महंत ने कहा जो व्यक्ति रोजगार चाह रहा हो और उसका आधार कार्ड ही नहीं देखा गया हो उसके प्रति सरकार की जवाबदेही कैसे बनेगी? बेरोजगार की परिभाषा तो होनी ही चाहिए। अजय चंद्राकर ने कहा कि बजट में बेरोजगारी भत्ता देने का उल्लेख आया है, अतः सरकार को शिक्षित बेरोजगार को परिभाषित करना होगा। उमेश पटेल ने कहा कि बेरोजगारी भत्ते की पात्रता के लिए उम्र निर्धारित है। परिवार की आय का भी निर्धारण कर दिया गया है। साथ ही यह भी तय किया गया है बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन लगाने वाले के परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारत सरकार ने शिक्षित बेरोजगारों का सर्वे एवं जनगणना जैसे कामों को बंद कर रखा है। सीएमआई के सर्वे को पूरी दुनिया मान रही है। हमें गर्व करना चाहिए कि छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर कम है।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि यहां पर जो प्रश्न किए जा रहे हैं उसमें भारत सरकार कहां से आ गई। आपके पास रोजगार कार्यालयों में हुए पंजीयन का आंकड़ा क्या सही नहीं है जो किसी एजेन्सी की मदद लेनी पड़ रही है। यहां पर मंत्री व्दारा घूमा-घूमाकर उत्तर दिया रहा है। सही उत्तर नहीं आ रहा है। यह बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इसके बाद सारे भाजपा सदस्य विरोध दर्ज कराते हुए नारेबाजी के साथ सदन से वॉक आउट कर गए।

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