मिसाल न्यूज़
कभी ‘तरी हरि नाना’ जैसी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म कर चुके राज वर्मा लंबे समय बाद ‘दुल्हा राजा’ में एक बार फिर हीरो के किरदार में सामने आ रहे हैं। राज ने न सिर्फ़ इस फ़िल्म की कहानी लिखी है बल्कि डायरेक्शन भी उन्हीं का है। बीच में एक लंबा गेप रहा लेकिन राज आज भी पहले की तरह मेंटेन हैं। बारह-तेरह साल पहले वाली ताज़गी आज भी उनके चेहरे पर बरक़रार है। राज कहते हैं- “छत्तीसगढ़ी सिनेमा का दर्शक अब प्रेम कहानियों से परे हटकर और भी बहुत कुछ देखना चाह रहा है। हमने ‘दुल्हा राजा’ में कुछ अलग दिखाने की कोशिश की है और पूरा विश्वास है कि दर्शकों की उम्मीदों पर हम खरे उतरेंगे।“
राज वर्मा से ‘दुल्हा राजा’ को लेकर ‘मिसाल न्यूज़’ ने लंबी बातचीत की, जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-
0 अपनी पहली और दूसरी फ़िल्म के बीच के फ़र्क को कैसे स्पष्ट करेंगे…
00 ‘तरी हरि ना ना’ 2011 में आई थी। उस समय भी मेरे दिमाग में एक ही बात घूमती रही थी कि दर्शकों को नया क्या दे सकता हूं। खुद को उस फ़िल्म से लॉच करना था। उस फ़िल्म के गाने पसंद किए गए थे। नया प्रयोग था। आज जब ‘दुल्हा राजा’ लेकर आ रहा हूं तो काफ़ी कुछ बदल चुका है। सबसे ज़्यादा कठिन काम है दर्शकों के टेस्ट को समझ पाना। हमने पूरी कोशिश की है कि ‘दुल्हा राजा’ मनोरंजन में कोई कसर बाक़ी नहीं रखे। ‘तरी हरि नाना’ एवं ‘दुल्हा राजा’ के बीच के अंतर को देखें तो टेक्नालॉजी में भी काफ़ी बदलाव आया है। एक ही बात दिमाग में रखकर काम करते रहे कि ‘दुल्हा राजा’ में 100 से 200 प्रतिशत तक मनोरंजन देना है।
0 ‘तरी हरि नाना’ और ‘दुल्हा राजा’ के बीच 12 साल से अधिक का गेप, ये कोई कम नहीं होता…
00 हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में करना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन जीवन की आपाधापी में बहुत कुछ छुटते चले जाता है। व्यावसायिक मजबूरियां रहती हैं। मेरा फैमिली बेकग्राउंड कोई इतना मजबूत नहीं था कि एक के बाद तूरंत दूसरी फ़िल्म बनाने उतर जाता। मेरा रियल स्टेट का काम रहा है, जिसमें उतार-चढ़ाव होते रहता है। फिर अपने परिवार में मैं पहला व्यक्ति था जो बिजनेस में गया। कह सकता हूं सिनेमा की तरह वहां भी कड़ी परीक्षा थी।
0 ‘दुल्हा राजा’ में राज वर्मा का किरदार किस तरह का है…
00 मजाकिया लेकिन समझदार युवक का करैक्टर है। ऐसा युवक जो स्कॉलरशिप पर अमेरिका पढ़ने जाता है। 3 साल वहां नौकरी करता है। उसे अपनी कर्म भूमि से लगाव है, इसलिए अपने देश वापस लौट आता है। कह सकते हैं एक तेज तर्रार व चंचल युवक का करैक्टर है।
0 ऐसा क्यों लगा कि आपके अपोजिट काजोल सोनबेर फिट रहेंगी…
00 फ्रेश चेहरे की तलाश थी। 30 से 35 लोगों का ऑडिशन लिया गया था। आख़री में निष्कर्ष यही निकला कि इस किरदार में काजल ही फिट बैठ सकती हैं। इससे पहले काजल की तीन फ़िल्में आ चुकी हैं। ‘दुल्हा राजा’ में वह एकदम डिफ्रेंट दिखें इसके लिए उनके गैटअप पर विशेष ध्यान दिया गया। काजल व्यावहारिक लड़की हैं और सांस्कारिक भी।
0 चर्चा यह भी है कि ‘दुल्हा राजा’ मल्टी स्टारर है…
00 इसमें टॉप के 18 कलाकार हैं। नाम न भी गिनाऊं तो भी चलेगा। फ़िल्म का पोस्टर ही अपने आप में काफ़ी कुछ कह देता है।
0 हर सवाल के ज़वाब में इतना जो उत्साह झलक रहा है तो फिर ये भी पूछना होगा कि फ़िल्म में और भी क्या ख़ास है…
00 पूरी तरह कामर्शियल फ़िल्म है। पैसा वसूल कह सकते हैं। पिछले सात-आठ सालों से छत्तीसगढ़ी सिनेमा में प्रेम कहानियों की लाइन लगी हुई थी। प्रेम तो खैर हर फ़िल्म में होता है लेकिन हमने परिवार पर ज़ोर दिया है। पब्लिक कुछ अलग जो देखना चाह रही है वह इस फ़िल्म में मिलेगा। फिर हर कलाकारों ने इस फ़िल्म के लिए जी जान से मेहनत की है।
0 अब ज़्यादातर छत्तीसगढ़ी फ़िल्में बड़े बजट के साथ बन रही है। मेकर गर्व के साथ यह कहते नहीं थकते कि एक करोड़ से ऊपर लग गया। इस पर क्या कहेंगे…
00 मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूमती थी कि फ़िल्म अच्छी कैसे बने। हमने हाईटेक कैमरा मंगवाया, जो ज़्यादातर बॉलीवुड में इस्तेमाल होता है। इसके अलावा हमने समय बचाया। ज़्यादातर फ़िल्मों का शूट 40 से 50 दिन तक जाता है। हमने 26 दिनों में पूरा शूट निपटा लिया। हमने फ्रेमिंग ऐसी की है कि हमारी फ़िल्म भी एक करोड़ की लगेगी।
0 राज वर्मा के बारे में यह भी कहा जाता है एक ही समय में बहुत से कामों में हाथ डाले रहते हैं…
00 मैंने सिनेमा को कला एवं व्यवसाय दोनों रूप में लिया। 2003 मे ‘जरथे जिया मोर’ फ़िल्म के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ना छत्तीसगढ़ी सिनेमा में मेरा पहला कदम माना जा सकता है। छत्तीसगढ़ी के अलावा हिन्दी-अंग्रेजी फ़िल्मों के भी डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ा रहा। मैंने, लक्की रंगशाही एवं राकेश मिश्रा ने मिलकर दस साल के लिए भिलाई के चंद्रा सिनेमा को लीज पर लिया है। आगे और भी सिनेमाघर शुरु करने का प्रयास जारी है।
0 आगे की योजना…
00 तीन फ़िल्में करने की तैयारी है। दो छत्तीसगढ़ी होगी और एक भोजपुरी। हो सकता है इन तीनों प्रोजेक्ट में डायरेक्टर राज वर्मा की जगह कोई और हो।