अनिरुद्ध दुबे / मिसाल न्यूज़
छत्तीसगढ़ी फ़िल्म ‘मोर छंइहा भुंईया- 2’ में दीक्षा जायसवाल मन कुरैशी के अपोज़िट सुधा के रोल में नज़र आएंगी। हाल ही में रिलीज़ हुई ‘बी.ए. फाइनल ईयर’ में मन और दीक्षा की जोड़ी सराही जा चुकी है। बिलासपुर गर्ल दीक्षा कहती हैं- “सतीश सर जैसे लीजेन्ड डायरेक्टर के साथ काम करने का सपना था, जो कि ‘छंइहा भुंईया- 2’ में पूरा हुआ।“
‘मिसाल न्यूज़’ ने ‘छंइहा भुंईया’ को लेकर दीक्षा से बातचीत की, जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-
0 ‘छंइहा भुंईया’ कैसे मिली…
00 मैं फ़िल्म ‘बी.ए. फाइनल’ के शूट पर थी। उसी दौरान सतीश सर से कॉन्टेक हुआ। मैंने उनसे कहा कि “मेरा ड्रीम है आपके साथ काम करने का।“ सतीश सर जब ‘मोर छंइहा भुंइया-2’ के पात्रों का चयन कर रहे थे उनका मैसेज आया तुम्हें सुधा का रोल करना है। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ये मेरे लिए बड़ा चैलेंज था। इसलिए कि ‘छंइहा भुंइया पार्ट 1’ में सुधा वाले रोल को पूनम नकवी जी ने बख़ूबी निभाया था। मैंने इस रोल में काफ़ी मेहनत की है।
0 पहले की यात्रा पर कुछ प्रकाश डालें…
00 3 साल की थी तब से डॉस करने लगी थी। 15 साल हो गए मुझे कथक नृत्य करते हुए। बिलासपुर में एक्टिंग का कोर्स किया। एक साल का सुगम संगीत कोर्स भी किया। पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म मुझे ‘सोनझरी’ मिली थी। किन्हीं कारणों से यह फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो पाई। दूसरी फ़िल्म ‘बी.ए. थर्ड ईयर’ की। जैसा कि इसका प्रदर्शन हो चुका है अतः इसे मेरी डेब्यू फ़िल्म माना जा सकता है। ‘छंइहा भुंईया- 2’ मेरी दूसरी फ़िल्म होगी।
0 क्या अलबम भी किए…
00 सूंदरानी यू ट्यूब चैनल के लिए 3 कर्मा गीत किए। डायेक्टर प्रणव झा जी के प्रोडक्शन तले बने अलबम ‘सवरेंगी आ जा…’ में भी नज़र आई।
0 सतीश जी के डायरेक्शन में काम करने का कैसा अनुभव रहा…
00 शूट शुरु होने से पहले मैं काफ़ी डरी हुई थी। कहीं से यह सुनने मिला था कि वे बेहद स्ट्रिक्ट हैं। काम ठीक नहीं होने पर डांट फटकार देते हैं। जब शूट शुरु हुआ तो ऐसा कहीं भी नहीं लगा। दरअसल वे अपने काम को लेकर काफ़ी सीरियस हैं। बड़ी सहजता के साथ वे रोल को समझाते थे। उनके डायरेक्शन में काम करना काफ़ी अच्छा एक्सपीरियेन्स दे गया। ऐसे लीजेन्ड डायरेक्टर के साथ काम करने का हर आर्टिस्ट का सपना होता है।
0 मन कुरैशी के साथ ट्यूनिंग कैसी रही…
00 इसे ग़ज़ब संयोग कहिए कि मन जी के साथ लाइन से 3 फ़िल्में करने को मिलीं। ‘बी.ए. फाइनल ईयर’, ‘छंइहा भुंइया- 2’ एवं ‘सुकवा।‘ वैसे देखें तो वो मुझसे काफ़ी सीनियर हैं। शूट के समय हमेशा से उनकी काफ़ी मदद मिलती रही। उनका व्यवहार काफ़ी दोस्ताना है। मज़ाकिया भी हैं।
0 ‘छंइहा भुंईया’ करते समय कोई यादगार क्षण
00 सेट पर जब ख़ाली समय मिलता मैं, मन, दीपक साहू एवं एल्सा घोष मोबाइल पर लूडो खेलते रहते। हम चारों ने बहुत अच्छे से ख़ाली समय को साझा किया।
0 दीक्षा के कोई अन्य शौक…
00 गाने का शौक है। पढ़ने का भी। मां निशा जायसवाल भी पढ़ती-लिखती रही हैं। हो सकता है पढ़ने की आदत मुझे उनसे मिली हो। वक़्त मिला तो पेंटिंग भी करती हूं।
0 क्या बाहर की तरफ भी उड़ान भरेंगी…
00 फिलहाल मैं छत्तीसगढ़ में ही रहकर काम करना चाहती हूं। बाहर अच्छा बड़ा अवसर मिला तो ही जाऊंगी। बाहर गई भी तो अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा एवं कल्चर को लोगों तक पहुंचाना चाहूंगी।