रायपुर। प्रदेश महिला कांग्रेस महासचिव एवं प्रवक्ता प्रीति उपाध्याय शुक्ला ने कहा कि भारत देश महिलाओं के खिलाफ हिंसा की भयावह स्थिति से जूझ रहा है। 2024 का लोकसभा चुनाव देश की बेटियों के आँसू के बीच लड़ा जाएगा। हाथरस, उन्नाव, बृजभूषण सिंह और अंकित भंडारी जैसे केस इस संकट की व्यापकता को उजागर करते हैं। यह सिर्फ खबरें नहीं है बल्कि बेशुमार अनसुनी घटनाओं, खामोश पीड़ा और लाखों लोगों के टूटे सपनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
प्रीति उपाध्याय शुक्ला ने एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा द्वारा संचालित दंड मुक्ति की संस्कृति अपराधियों का मनोबल बढ़ाती है। त्रुटि पूर्ण न्याय प्रणाली जो अक्सर समय पर और संवेदनशील फैसला देने में विफल रहती है जिससे पीड़ित और उनके परिवार न्याय की आस में तड़पते रहते हैं। छत्तीसगढ़ महिला कांग्रेस मांग करती है पुलिस विभाग में संवेदनशीलता प्रशिक्षण अनिवार्य करें। निष्क्रिय रहने वाले अधिकारियों के लिए सख्त जवाबदेही सुनिश्चित करें और पीड़ितों की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता दें। त्वरित न्यायालय स्थापित करें। लैंगिक रूप से संवेदनशील कोर्ट रूम सुनिश्चित करें और न्यायाधीशों को समय पर और निष्पक्ष फैसले के लिए जवाबदेह ठहराएं। व्यापक शिक्षा अभियान चलाएं जो हानिकारक लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दें और समुदायों को हस्तक्षेप करने और हिंसा को रोकने के लिए सशक्त बनाएं। मजबूत गवाह संरक्षण कार्यक्रम प्रदान करें। सुलभ हेल्पलाइन स्थापित करें और पीड़ितों के लिए व्यापक कानूनी सहायता और सुरक्षित आश्रय सुविधा प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करना सिर्फ एक नैतिक दायित्व नहीं है बल्कि एक राष्ट्रीय आपात स्थिति है जिसके लिए सरकार, नागरिक समाज और हर नागरिक से प्रतिबद्धता की मांग है। केवल सामूहिक कार्यवाही के माध्यम से ही भारत एक ऐसा भविष्य बना सकता है जहाँ महिलाएँ और लड़कियाँ सुरक्षित हों, सम्मानित हों और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचाने के लिए सशक्त हों।